लाइफ साइंसेज कंपनी टार्सन प्रोडक्ट्स लिमिटेड की शेयर बाजार में एंट्री होने वाली है। 26 नवंबर यानी शुक्रवार को टार्सन प्रोडक्ट्स की शेयर बाजार में लिस्टिंग होगी। इस लिस्टिंग का इंतजार वो रिटेल निवेशक सबसे ज्यादा कर रहे हैं, जिन्हें आईपीओ अलॉट हुआ है। अगर आपको भी टार्सन प्रोडक्ट्स का आईपीओ अलॉट हुआ है तो आपके लिए एक अच्छी खबर है।
क्या है अच्छी खबर: दरअसल, टार्सन प्रोडक्ट्स के ग्रे मार्केट प्रीमियम यानी जीएमपी से ये संकेत मिल रहे हैं कि कंपनी की शेयर बाजार में लिस्टिंग के साथ ही निवेशकों को तगड़ा मुनाफा होने वाला है। बीते बुधवार को ग्रे मार्केट प्रीमियम 155 रुपए पर था, जो गुरुवार को बढ़कर 175 रुपए पर पहुंच गया। मतलब ये हुआ कि निवेशकों को प्रति शेयर 175 रुपए मुनाफे की उम्मीद की जा सकती है।
कितने पर लिस्टिंग की उम्मीद: इस आईपीओ के प्राइस बैंड की बात करें तो 635-662 रुपये प्रति शेयर का था। वहीं, एक लॉट में 22 शेयर रखे गए थे। इस लिहाज से देखें तो 835 रुपए प्रति शेयर से ज्यादा पर लिस्टिंग हो सकती है। बता दें कि टार्सन प्रोडक्ट्स लिमिटेड ने आईपीओ के जरिए 1024 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था।
कोलारस में हुआ बड़ा घोटाला
शिवपुरी जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की कोलारस शाखा में गबन और धोखाधड़ी का बड़ा मामला सामने आया है। सहकारिता विभाग द्वारा कराए गए आडिट में लगभग सौ करोड़ रुपये से भी अधिक की गड़बड़ी पाई गई है। इसमें शाखा के अधिकारियों ने मिलीभगत करके गबन किया। इसके आधार पर अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन और विभागीय जांच की कार्रवाई की गई है।
किसानों के खातों से सीधे राशि काटने से लेकर फर्जी ऋण तक के प्रकरण
सहकारी बैंकों में गड़बड़ी के मामले लंबे समय से सामने आ रहे हैं। रीवा जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की डाभौरा शाखा में 16 करोड़, सीधा सहकारी केंद्रीय बैंक में ट्रैक्टर फायनेंस में अनियमितता,छत्तरपुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की राजनगर शाखा में तीन करोड़ रुपये, मंदसौर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में 12 करोड़,होशंगाबाद जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में दो करोड़ रुपये,शहडोल जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की अनियमितता के मामले सामने आ चुके हैं। धान और गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद में 17 करोड़ रुपये की गड़बड़ी जबलपुर, बालाघाट, नरसिंहपुर, मंडला, सिवनी, सीधी और शहडोल बैंक में सामने आ चुकी है। बालाघाट जिला सहकारी केंद्रीय बैंक ने तो किसानों के खातों से राशि काटकर उन्हें एक मासिक पत्रिका का सदस्य तक बना दिया था।