जयपुर । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सभी वर्गों को शांत करने का प्रयास किया है।गहलोत ने 4 दलित और 2 महिलाओं को कैबिनेट मंत्री बनाकर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की बुनियाद रख दी है। करीब डेढ़ साल से अपने समर्थकों को सत्ता में भागीदारी दिलाने की कोशिश में जुटे पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट गुट के विधायकों को भी मंत्री बनाकर सभी को साथ लेकर चलने का संदेश दिया गया। काफी जद्दोजहद के बाद नए मंत्रियों को शपथ दिला दी गई हैं, लेकिन अब तक विभागों का बंटवारां नहीं हो सका है। हमेशा मंत्रियों के शपथ लेने के दो से तीन घंटे के भीतर ही विभागों का आवंटन कर दिया जाता था। लेकिन इस बार 20 घंटे बाद भी मंत्रियों को विभाग नहीं मिल पाए है।
सूत्रों का कहना हैं कि जिस तरह से नए बनने वाले मंत्रियों की सूची कांग्रेस आलाकमान के स्तर पर तय हुई, उसी तरह से विभागों का बंटवारा भी दिल्ली से होगा।आलाकमान को इसका डर सता रहा है, कि यदि विभागों का बंटवारा सही नहीं हुआ,तब फिर असंतोष बढ़ सकता है।इसके बाद पूरी करसत करने के बाद भी विभागों का बंटवारा किया जाएगा। प्रदेश प्रभारी अजय माकन सोमवार को दिल्ली रवाना हो गए। वह पार्टी के संगठन महामंत्री के.सी.वेणुगोपाल के साथ विभागों के बंटवारे पर चर्चा करेंगे।
पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी से भी सलाह की जाएगी। उधर मंत्रिमंडल फेरबदल के बाद विधायकों की नाराजगी भी सामने आई है।कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और यूपी में प्रियंका गांधी के सहयोगी जुबेर खान की पत्नी साफिया ने कहा मंत्रिमंडल में महिला विधायकों को 33 फीसदी आरक्षण नहीं दिया गया है।
उन्होंने कहा कि मैंने अपनी नाखुशी पार्टी नेतृत्व को बता दी है। वरिष्ठ आदिवासी विधायक दयाराम परमार ने मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र लिखकर कहा कि मंत्रिमंडल गठन के बाद ऐसा लगता है कि मंत्री बनने के लिए कोई विशेष योग्यता की आवश्यक्ता होती है। कृपया योग्यता बताने की कृपा करें कि विशेष काबलियत क्या है, जिस हासिल कर के भविष्य में मंत्री बनने की कोशिश की जा सके।परमार ने कहा कि मैं 6 बार विधायक रहने के साथ ही 2 बार राज्यमंत्री भी रहा। इस बार उन्हे मंत्री नहीं बनाया गया। विधायक जौहरीलाल मीणा, बाबूलाल बैरवा, खिलाड़ी लाल बैरवा भी मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज है। उन्हे मनाने का प्रयास किया जा रहा है।