उनका कहना है कि जिन लोगों को उनके चुटकुले आपत्तिजनक लगते हैं, उनको हंसना छोड़ देना चाहिए। गौरतलब है कि अभिनेता और कॉमेडियन वीर दास उस वक्त सुर्खियों में आये थे, जब उनकी भारत विरोधी एक कविता वायरल हुई थी। उन्होंने यह कविता अमेरिका में पढ़ी थी, जिसके बाद सोशल मीडिया यूजर्स दो धड़े में विभाजित हो गये थे और देश की छवि को अपमानजनक तौर पर चित्रित करने के लिए उनकी खूब आलोचना भी हुई थी। यहां तक की देश के कई हिस्सों में उनके खिलाफ शिकायत भी दर्ज हो चुकी है। अब वीर दास ने अपने साक्षात्कार में इसे लेकर बातचीत की है और उनका कहना है कि वह भारत को लव लेटर लिखना जारी रखेंगे...। आइए जानते हैं वीर दास ने अपने विवादित कविता पर क्या कहा है?
वीर दास का कहना है कि एक कॉमेडियन के तौर पर वह लोगों को हंसाना हमेशा जारी रखेंगे। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में साफ कहा है कि अगर किसी को उनके चुटकुले आपत्तिजनक लगते हैं, तो उन्हें हंसना बंद कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वह अपना काम करने के लिए यहां हैं और आगे भी इसे जारी रखेंगे। वीर दास ने कहा कि उन्होंने अभी तक किसी भी सेंसरशिप का सामना नहीं किया है। भारत में लोगों को हंसाने और प्यार फैलाने के लिए अभी और ज्यादा कॉमेडी क्लबों की जरूरत है।
वीर दास ने कहा, मैं सिर्फ एक शो कर रहा था। जहां मेरी ऑडियंस थी। मैंने एक पीस लिखा। मुझे नहीं लगता कि आप कभी भी बातचीत शुरू करने की उम्मीद करते हैं। मुझे लगता है कि आप लोगों को कमरे में हंसाने की उम्मीद करते हैं। मैं यहां अपना काम करने आया हूं और आगे भी जारी रखूंगा। मैं नहीं रुकूंगा। मेरा काम लोगों को हंसाना है और अगर आपको यह मजाकिया नहीं लगता तो मत हंसों।
42 साल के इस कॉमेडियन ने अपने एक अन्य इंटरव्यू में कहा, मैं सोचता हूं कि हंसी एक उत्सव की तरह है। जब हंसी और तालियां एक कमरे में गूंजती हैं, तो गर्व का क्षण होता है। उन्होंने कहा, कोई भी भारतीय जिसके पास सेंस ऑफ ह्यूमर है या फिर जिसने मेरा पूरा वीडियो देखा है, वह जानता है कि रूम में क्या हुआ था। लाखों लोगों ने मेरे शो के लिए मुझे प्यार दिया।
वीर दास ने अपनी कविता में देश के दो विरोधाभासी चेहरों को जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, मैं ऐसे भारत से आता हूं जहां की ज्यादातर आबादी 30 वर्ष से कम उम्र की है लेकिन जो इसके बावजूद यह 75 साल के नेताओं के 150 साल पुराने आइडियाज को सुनता है। मैं उस भारत से आता हूं जहां AQI9000 है लेकिन फिर भी हम अपनी छतों पर लेटकर रात में तारे देखते हैं। मैं उस भारत से आता हूं जहां हम दिन में औरतों की पूजा करते हैं और रात में गैंगरेप। मैं उस भारत से आता हूं जहां आप हमारी हंसी खिलखिलाहट हमारे घर की दीवारों के पार भी सुन सकते हैं और मैं उस भारत से आता हूं जो कॉमेडी क्लबों की दीवारें तोड़ देता है।