मांग की चिंताओं पर अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में गिरावट घरेलू ईंधन खुदरा विक्रेताओं को पेट्रोल और डीजल दरों में कमी करने के लिए प्रेरित कर सकती है।यूरोप में कोविड-19 मामलों के फिर से बढ़ने के कारण विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में ईंधन की कीमतों में कमी सकती है। मांग की चिंताओं पर अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में गिरावट घरेलू ईंधन खुदरा विक्रेताओं को पेट्रोल और डीजल दरों में कमी करने के लिए प्रेरित कर सकती है। एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह जानकारी साझा की गई है।

बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड शुक्रवार को महीने के चरम स्तर पर पहुंचने के बाद 6.95 फीसदी गिरकर 80 डॉलर से नीचे 78.89 डॉलर प्रति बैरल गया। ब्रेंट क्रूड का यह दाम एक अक्तूबर के बाद से सबसे कम है। करीब 10 दिन पहले इसका भाव 84.78 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था

भारत में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें, जो सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क के दैनिक उतार-चढ़ाव से जुड़ी हुई हैं, बीते 4 नवंबर से स्थित बनी हुई हैं। जी हां, दिवाली से एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय लगने वाने उत्पाद शुल्क में क्रमशः 5 रुपये प्रति लीटर और 10 रुपये की कमी की थी।

दिल्ली में पेट्रोल की कीमत पिछले 18 दिनों से 103.97 रुपये प्रति लीटर और डीजल का दाम 86.67 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर है। ब्रेंट 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे फिसल गया है, जो 1 अक्तूबर के बाद से सबसे कम है, यह भारत में पेट्रोल और डीजल की दरों को कम करने के कारण है।

भारत तीसरा बड़ा तेल उपभोक्ता

सूत्रों ने कहा कि कई महीनों में पहली बार अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें मांग की चिंताओं के कारण गिर गई हैं, नहीं तो उत्पादक अमेरिका और भारत जैसे प्रमुख उपभोक्ताओं की दलीलों को नजरअंदाज करते हुए तेल की कीमतों को कृत्रिम रूप से ऊंचा ही बनाए रख रहे थे। गौरतलब है कि भारत, अमेरिका और चीन के बाद कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है।