जबलपुर : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपने एक अंतरिम आदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की जांच कर रहे विशेष कार्य बल (एसटीएफ) द्वारा राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) पर रोक लगा दी है। राज्यपाल यादव के वकील आदर्श मुनि त्रिवेदी एवं राजेन्द्र पटेरिया ने आज यह कहा कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अजय मानिकराव खानविलकर एवं न्यायाधीश रोहित आर्य की युगलपीठ ने आज अपने एक अंतरिम आदेश में राज्यपाल के खिलाफ एसटीएफ द्वारा दर्ज एफआईआर पर रोक लगा दी है।
उन्होंने बताया कि अदालत ने कहा है कि यह रोक तब तक प्रभावी रहेगी, जब तक अंतिम फैसला नहीं सुना दिया जाता। उच्च न्यायालय ने सभी संबंधित पक्षों को सुनने के बाद राज्यपाल की दलील पर गत 13 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। राज्यपाल यादव ने अपनी दलील में मांग की थी कि चूंकि वह एक संवैधानिक पद पर हैं, इसलिए इसलिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती।
राज्यपाल यादव के वकील राम जेठमलानी, त्रिवेदी एवं पटेरिया ने मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के सामने तर्क दिया था कि राज्यपाल के खिलाफ दाण्डिक कार्यवाही करना संविधान के अनुच्छेद 361 (2) और (3) के विपरीत है, क्योंकि यह अनुच्छेद पद पर रहते हुए राष्ट्रपति और राज्यपालों को ऐसी कार्यवाही से सुरक्षा प्रदान करता है। इसके विपरीत एसटीएफ ने अदालत में कहा था कि उसे राज्यपाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अधिकार है, क्योंकि ऐसा कर उसने उनके खिलाफ कोई दाण्डिक कार्यवाही शुरू नहीं की है। दाण्डिक कार्यवाही किसी भी प्रकरण में अदालत में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद शुरू हुई मानी जाती हैं। जबकि राज्यपाल के वकीलों का तर्क था कि एफआईआर दर्ज होने के साथ ही दाण्डिक कार्यवाही शुरू हो जाती है।
गौरतलब है कि व्यापमं घोटाले की जांच कर रही एसटीएफ ने राज्यपाल यादव के खिलाफ इसी साल 24 फरवरी को भादंवि की धारा 420 सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण कायम किया था। व्यापमं द्वारा संचालित वन रक्षक भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी में राज्यपाल पर सहभागी होने का आरोप है। उन्होने कथित तौर पर पांच प्रतिभागियों के नाम की सिफारिश की थी, जिन्होने वनरक्षक भर्ती परीक्षा में फर्जी तरीके से सफलता हालिस कर ली थी।