धनबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने निर्णयों से हमेशा देश-दुनिया को चाैंकाते रहे हैं। उनका अलग कदम क्या होगा, कोई अंदाजा नहीं लगा पाता है। एक बार फिर तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर चाैंका दिया है। गुरुनानक जयंती, प्रकाश पर्व और कार्तिक पूर्णिमा पर शुक्रवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। इसका स्वागत हो रहा है। धनबाद समेत पूरे झारखंड के लोग स्वागत कर रहे हैं। झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने भी स्वागत किया है।

संसद के शीतकालीन सत्र में कानून वापस लेने की शुरू होगी प्रक्रिया

राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून बिल वापस लेने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि संसद के सत्र में इन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू होगी। उन्होंने कहा-मैं देश वासियों के क्षमा मांगते हुए, सच्चे मन से कहना चाहता हूं कि हमारे प्रयास में कमी रही होगी कि हम उन्हें समझा नहीं पाए। आज गुरू नानक जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। आज मैं आपको यह बताने आया हूं, कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर देंगे। मेरी किसानों से अपील है कि अपने घर लौटें, खेतों में लौटें।

किसानों के हित में गिनाई उपलब्धियां

हमनें फसल बीमा योजना को अधिक प्रभावी बनाया, उसके दायरे में ज्यादा किसानों को लाए। किसानों को ज्यादा मुआवजा मिल सके, इसके लिए पुराने नियम बदले। इस कारण बीते चार सालों में एक लाख करोड़ से ज्यादा का मुआवजा किसान भाईयों को मिला है। किसानों को उनकी उपज के बदले सही कदम मिले इसके लिए कदम उठाए गए। हमने एमएसपी बढ़ाई साथ ही साथ रिकॉर्ड सरकारी केंद्र भी बनाए। हमारी सरकार के द्वारा की गई खरीद ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए। हमने किसानों को कहीं पर भी अपनी उपज बेचने का प्लेटफॉर्म दिया।

किसान कल्याण को बताया सर्वोपरि

पीएम मोदी ने कहा कि हमनें किसान को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। इस सच्चाई से लोग अंजान हैं कि ज्यादा किसान छोटे किसान हैं। इनके पास दो हेक्टेयर से कम जमीन है। इन छोटे किसानों की संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है। छोटी सी जमीन के सहारे ही वह अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी परिवारों में होने वाला बंटवारा जमीन को और छोटा कर रहा है। इसलिए हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत इन सभी पर चौतरफा काम किया है।

कब बना तीन कृषि कानून और कब शुरू हुआ आंदोलन

केंद्र सरकार की ओर से पारित किए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर 26 नवंबर, 2020 को किसान आंदोलन शुरू हुआ था। धीरे-धीरे यह आंदोलन देश के कई राज्यों में पहुंच गया। 17 सितंबर 2020 ये वो तारीख थी जब संसद में खेती से जुड़े तीनों कानून पास हो गए थे। 

तीन नए कृषि कानून

  • पहला कानूनः कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 है. इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं। बिना किसी रुकावट के दूसरे राज्यों में भी फसल बेच और खरीद सकते हैं।
  • दूसरा कानूनः मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक सशक्तिकरण एवं संरक्षण अनुबंध विधेयक 2020 है। इसके जरिए देशभर में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है। फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी। 
  • तीसरा कानूनः आवश्यक वस्तु संशोधन बिल- 1955 में बने आवश्यक वस्तु अधिनियम से अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है। 

विपक्ष नहीं चाहता किसानों का हित

झारखंड प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और धनबाद के सांसद पीएन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है-किसान हित में केंद्र सरकार ने तीन नए कृषि कानूनों को बनाया था। इसके विरोध में विपक्ष ने किसानों को गुमराह कर आंदोलन खड़ा किया। ये वही लोग थे जो 60 साल तक सत्ता में रहने के बाद किसानों का भला नहीं कर पाए। आंदोलन के कारण कुछ स्थानों पर हिंसा हो रही थी। प्रधानमंत्री ने जनता की भावनाओं का आदर करते हुए कानून को वापस लेने की घोषणा की है। यह स्वागत योग्य है।