हैदराबाद : हैदराबाद के एक कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारियों को अपनी हरकत पर खुद शर्मसार होना पड़ा। कॉल सेंटर द्वारा शौचालय जाम होने की सूचना पर सफाई कर्मचारियों ने वहां से कई किलो कंडोम का ढेर निकाला। इसी कचरें के कारण शौचालय जाम हो गया था। इस कचरे को निकालने के बाद शौचालय का निकास मार्ग साफ हो सका।
कॉल सेंटर के उदय के वर्षों में हैदराबाद से निकलने वाले अख़बारों की सुर्खियों में उनके शौचालयों का जिक्र भी होता था। इस्तेमाल करने के बाद फेंके गये हजारों कंडोम के कारण शौचालयों के बाधित हुए निकास मार्ग की खबरें उन दिनों प्रमुखता से छपती थी।इसी बहाने बेंगलुरू के कॉल सेंटर हब के नाम से मशहूर एक प्रांत में सफाई कर्मचारियों की परेशानियां भी इन सुर्खियों का हिस्सा बन जाती थी।
बेंगलुरू के इसी प्रांत में उस समय गर्भपात कराने वाली युवतियों की संख्या अचानक बढ़ गई थी। हालांकि, कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारियों में सब ऐसे नहीं थे लेकिन अधिकांश युवा इस पाश्चात्य कचड़े को ही आधुनिक जीवनशैली समझ बैठे थे।
अब सरकार ने ठोस कचड़ा प्रबंधन कानून को अंतिम रूप देने से पहले इसके लिये बनाए गए ड्राफ्ट में कंडोम और ऐसे कचड़ों के निष्पादन का जिक्र किया है। ऐसे में युवाओं के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वो भी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए विवाह पूर्व शारीरिक संबंध बनाने की अपनी स्वच्छंदता पर स्व-अंकुश लगाने की दिशा में बढ़ें। इससे उन सफाई कर्मचारियों की सिरदर्द कम हो सकती है जिन्हें कॉल सेंटर के शौचालयों के निकास मार्ग से हजारों कंडोम निकाल उसे साफ करना पड़ता था।
भारत में जैसे-जैसे कॉल सेंटर फले-फूले वैसे-वैसे भारतीय युवाओं की जीवनशैली में भी बदलाव हुए। इन बदलावों में युवाओं की कार्यशैली खान-पान, ध्रुम-पान, नशीले पदार्थों के सेवन के साथ-साथ अमेरिकी कार्यशैली को बहुतायत से अपनाया। अमेरिकी कार्यशैली को अंधाधुंध अपनाने वाले युवाओं ने अपना दबाव कम करने के लिये आपसी सहमति के साथ शारीरिक संबंध बनाने लगे।
इस कार्यशैली में अधिकतर वे ही युवा-युतियां शामिल थे जो कॉल सैंटरों में रात्रि-प्रहर में काम करते थे। रात्रि-प्रहर में काम करने वाले युवक-युवतियां मानसिक दबाव की आड़ में कॉल सेंटर के शौचालय, नजदीकी पार्क या पार्किंग क्षेत्र के साथ-साथ शहर के सूनसान इलाके भी शामिल थे।