नई दिल्ली। वर्ष 2007 में हुई संघ प्रचारक सुनील जोशी की हत्या की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी [एनआइए] ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है। एनआइए ने दावा किया है कि संघ प्रचारक जोशी की हत्या की एक वजह साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के प्रति उनका कथित यौन आकर्षण हो सकता है।

एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के अनुसार, एनआइए इस मामले में अगले सप्ताह चार्जशीट दाखिल करेगी जिसमें साध्वी का नाम बतौर आरोपी शामिल किया जा सकता है। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश की देवास पुलिस बतौर आरोपी इस मामले में साध्वी का नाम पहले ही दर्ज कर चुकी है। प्रज्ञा ठाकुर 2008 के मालेगांव बम धमाकों की भी आरोपी हैं।

एनआइए के अनुसार, प्रज्ञा को इस बात की चिंता सताती रहती थी कि कहीं सुनील जोशी आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए बनाई गई योजनाओं का खुलासा न कर दें। एनआइए मामले में जो चार्जशीट दाखिल करने वाली है उसमें इस बात का उल्लेख हो सकता है कि अजमेर ब्लास्ट के बारे में जोशी द्वारा जानकारियों को सार्वजनिक करने से रोकने के लिए प्रज्ञा ने आनंदराज कटारिया को 10 दिनों तक अपने घर में रखा था।

गौरतलब है कि कटारिया को देवास पुलिस ने आरोपी बनाया था, लेकिन जोशी हत्या मामले में एनआइए की अंतिम लिस्ट में उनका नाम शामिल नहीं किया गया था। जोशी हत्या केस की जांच में 2011 के बाद तब बदलाव आया जब मालेगांव ब्लास्ट मामले में मध्य प्रदेश के महू में कुछ गिरफ्तारियां हुई और देवास पुलिस ने पहली चार्जशीट दाखिल की। एनआइए गिरफ्तार किए गए चार लोगों- राजेंद्र चौधरी, लोकेश शर्मा, जीतेंद्र शर्मा [भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता] और बलबीर सिंह को प्रज्ञा ठाकुर के साथ जोशी हत्याकांड मामले में आरोपी बनाएगी।

जांच एजेंसी का दावा है कि राजेंद्र और लोकेश ने ही 29 दिसंबर 2007 की रात जोशी का कत्ल किया था। जीतेंद्र शर्मा ने इसके लिए पिस्तौल मुहैया कराई थी और बलबीर सिंह ने इसे छिपाया था। एनआइए का यह भी दावा है कि लोकेश, राजेंद्र और जोशी एक बड़ी साजिश रच रहे थे और मुसलमानों को निशाना बनाकर ज्यादा से ज्यादा हमले करने की फिराक में थे।