गाजियाबाद । आजकल अभिभावक बेफिक्र होकर अपने बच्चों के हाथों में स्मार्टफोन थमा देते हैं। ऐसे अभिभावकों को अब सावधान होने की आवश्यकता है। क्योंकि कम उम्र में इंटरनेट तक बच्चों की पहुंच उन्हें गलत रास्ते पर ले जा रहा है। विजय नगर थाना क्षेत्र में भटकते बचपन का एक ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां ट्यूशन पढ़ने के लिए गई पांच साल की बच्ची से यौन उत्पीड़न हुआ। यौन उत्पीड़न का आरोप ट्यूटर के ही 12 साल के बेटे पर है।
मंगलवार को बच्ची की तबीयत खराब होने पर उसे एमएमजी अस्पताल ले जाया गया था। वहां से देर रात इस मामले की जानकारी पुलिस को दी गई। थाना प्रभारी योगेंद्र मलिक ने बताया कि शिकायत के आधार पर रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। आरोपी की उम्र 12 साल ही है। ऐसे में बच्चे को जुवेनाइल बोर्ड के सामने पेश किया गया। वहां से उसे चाइल्ड लाइन भेजने की तैयारी है। नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। जानकारी के अनुसार, विजयनगर की कॉलोनी में रहने वाले एक शक्स की बेटी यूकेजी में पढ़ती है। वह उनकी ही बिल्डिंग में तीसरे फ्लोर पर रहने वाली एक महिला के पास ट्यूशन पढ़ने के लिए जाती है। बच्ची के पिता ने बताया कि महिला के पास ट्यूशन पढ़ने के लिए उनकी बेटी और बेटा दोनों जाते हैं। मंगलवार को परिवार में एक कार्यक्रम था, इसलिए बेटे को कुछ सामान लेने के लिए भेजा था। इस वजह से वह ट्यूशन नहीं गया और बेटी को शाम को अकेली ट्यूशन जाना पड़ा। इस बीच महिला टीचर प्रसाद लेने नीचे आई, तो उसके 12 साल के बेटे ने बच्ची को अकेला पाकर उसका उत्पीड़न किया। कुछ देर बात बच्ची घर आई।
बच्ची ने घर आकर दर्द होने के बारे में बताया। उसके कपड़ों पर खून देखकर पैरंट्स उसे प्राइवेट अस्पताल लेकर गए। जहां से उन्हें एमएमजी अस्पताल जाने को कहा गया। अस्पताल में इलाज के बाद डॉक्टर ने बच्ची के साथ कुछ गलत होने के बारे में बताया। इसके बाद जब बच्ची से पूछा गया तो उसने पूरी घटना बताई। परिवार का आरोप है कि ट्यूटर ने अस्पताल पहुंचकर उनके परिचय वाले डॉक्टर से बेटी का इलाज करने का दबाव बनाया। जब उन्होंने इंकार कर दिया तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई। बच्ची के पिता ने बताया कि बीते कुछ दिनों से उनकी बेटी ट्यूशन जाने से बच रही थी। इसके बाद ट्यूटर का बेटा जब उसे खेलने के लिए बुलाता था तो वह परेशान होती थी। उन्होंने बताया कि करीब पांच दिन पहले वह बेटी को बुलाने आया था तो उसने जाने से मना कर दिया। हालांकि बच्ची के यह इशारे पैरंट्स समझ नहीं पाए और उन्होंने इस व्यवहार पर उससे बात नहीं की और यह घटना हो गई।
पैरंट्स बच्चों को मोबाइल देकर काम में लग जाते हैं, यह गलत है। उन्हें बच्चों पर नजर रखनी होगी। अगर बच्चा कमरे में मोबाइल लेकर बैठा है तो अंदर जाने पर उसके चेहरे और अंगुलियों पर नजर रखें। अगर तेज मूवमेंट हो तो उससे बात कर मोबाइल को फौरन चेक करें। अगर कई घंटे मोबाइल चलाने के बाद उसमें कोई हिस्ट्री नहीं मिले तो भी सावधान होने की जरूरत है।