मुंबई| कर और निवेश मामलों के विशेषज्ञ बलवंत जैन बताते हैं कि आप मकान बनवाने या खरीदने के लिए अपने पिता से भी होम लोन ले सकते हैं। शर्त यह है कि इस तरह के होम लोन पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत मूल राशि चुकाने पर मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की छूट नहीं दी जाएगी। इसके लिए आपको किसी सरकारी, निजी बैंक अथवा अन्य वित्तीय संस्थान से ही कर्ज लेना पड़ेगा।
2 लाख रुपये तक टैक्स छूट मिलेगी होम लोन ब्याज पर
हालांकि, आयकर की धारा 24 के तहत ब्याज पर मिलने वाली दो लाख की टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है। इसके लिए कर्जधारक को अपने पिता की ओर से जारी ब्याज सर्टिफिकेट विभाग को मांगने पर उपलब्ध करना होगा। ध्यान रखने वाली बात है कि ब्याज की यह राशि आपके पिता की आय मानी जाएगी और उन्हें अपने रिटर्न में इसे दर्शाना पड़ेगा।
वॉलेट से अधिकतम 50 हजार रुपये तक भुगतान
मोबाइल वॉलेट के जरिये मित्रों या रिश्तेदारों से किसी एक वित्तवर्ष में अधिकतम कर्ज 50 हजार रुपये तक लिए जा सकते हैं। दरअसल, आयकर विभाग इस राशि को तोहफे के रूप में लेता है और 50 हजार तक ही टैक्स छूट रहती है। इससे ज्यादा की राशि अतिरिक्त आय मानी जाएगी और आपको स्लैब के हिसाब से कर चुकाना पड़ सकता है।

मित्रों से लिया कर्ज तो कोई टैक्स नहीं
संकट के समय अपने मित्रों या पहचान वालों (पारिवारिक सदस्य नहीं) से कर्ज लिया है, तो यह राशि भी आयकर के दायरे से बाहर होगी। हालांकि, अगर उसने आपको तोहफे के रूप में बतौर मदद यह राशि दी है तो किसी एक वित्तवर्ष में सिर्फ 50 हजार पर ही टैक्स छूट का दावा किया जा सकेगा। इससे ज्यादा की राशि आपकी अतिरिक्त आय मानी जाएगी और उस पर स्लैब के हिसाब से कर देनदारी बनेगी। अगर राशि कर्ज के रूप में ली है और उसे लौटाया गया है, तो कर्जधारक पर टैक्स देनदारी नहीं बनेगी। यह ध्यान रखना होगा कि इस राशि पर मित्र को ब्याज दिया है, तो उसे ब्याज के रूप में मिली राशि पर टैक्स देना पड़ेगा।

20 हजार रुपये से ज्यादा न हो नकद में लेनदेन
किसी मित्र या रिश्तेदार से लिए गए कर्ज की राशि 20 हजार से ज्यादा नकद में नहीं होनी चाहिए। ऐसा होने पर आयकर विभाग उस राशि के बराबर जुर्माना लगा सकता है। समान नियम कर्ज के भुगतान पर भी लागू होंगे। यानी, कर्ज लेने वाला व्यक्ति उसे चुकाते समय 20 हजार से ज्यादा नकद में नहीं देगा। आयकर की धारा 269टी के तहत इस तरह का कर्ज चेक या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही दिया जाना चाहिए और लौटाने में भी इसका पालन होना चाहिए।

एनआरआई रिश्तेदार से तीन साल के लिए ही कर्ज
कोई भारतीय नागरिक अपने अनिवासी भारतीय (एनआरआई) रिश्तेदार से कर्ज लेता है, तो इसकी अधिकतम अवधि तीन साल होगी। कर्ज की राशि भी 2.50 लाख डॉलर से अधिक व ब्याज बैंक के समान कर्ज के ब्याज से दो फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। मसलन, बैंक 8 फीसदी ब्याज पर कर्ज दे रहा, तो रिश्तेदार अधिकतम 10 फीसदी ले सकता है। इसी तरह, कोई भारतीय अपने एनआरआई रिश्तेदार को कर्ज देता है, तो अधिकतम एक साल के लिए 2.5 लाख डॉलर बिना ब्याज के दे सकता है।

लोन एग्रीमेंट बनवाना दोनों पक्ष के लिए सही
मित्रों या रिश्तेदारों को बड़ी राशि कर्ज के रूप में देनी है, तो लोन एग्रीमेंट बनाना बेहतर होगा। इस पर ब्याज का लेनदेन होता है, उसे भी एग्रीमेंट में शामिल किया जाना चाहिए। ताकि, आयकर विभाग के मांगने पर सभी वैध दस्तावेज उपलब्ध कराए जा सकें और टैक्स छूट का वाजिब लाभ मिल सके। -एके निगम निदेशक, बीपीएन फिनकैप