नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी का पंजीकरण रद्द करने के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग को निर्देश देनेे की मांग करने वाली याचिका को आज खारिज कर दिया । याचिका मेंं कहा गया था कि पार्टी ने पंजीकरण के लिए कथित तौर पर जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था।  मुय न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति आर एस एंडलॉ की पीठ ने कहा, ‘‘याचिका खारिज की जाती है।’’  अदालत का यह फैसला हंसराज जैन की याचिका पर आया है, जिन्होंने पार्टी का पंजीकरण रद्द करने की मांग यह आरोप लगाते हुए की थी कि ‘‘‘आप’ का पंजीकरण जल्दबाजी में (निर्वाचन आयोग द्वारा) बिना पर्याप्त जांच के, झूठे और जाली दस्तावेजों के आधार पर हुआ ।’’ 

 जैन ने दावा किया था कि ‘आप’ के कुछ सदस्यों ने अपने शपथपत्रों में जो आवासीय पते दिए थे, उनका मिलान जब उनके मतदाता पहचान पत्र या आयकर रिटर्न से किया गया तो उनमें अंतर था।  वहीं दूसरी आेर निर्वाचन आयोग ने दावा किया था कि पार्टी को मान्यता देने में आयोग की आेर से ‘‘कोई चूक या अनावश्यक जल्दबाजी’’ नहीं हुई।  आयोग ने हलफनामे में कहा था, ‘‘आम आदमी पार्टी के पंजीकरण को मंजूरी सभी जरूरी औपचारिकताएं और अनिवार्यताएं पूरी करने के बाद ही दी गई थी। इस संबंध में आयोग के कार्यालय की आेर से एेसी कोई भी चूक या अनावश्यक जल्दबाजी नहीं की गई, जैसा कि आरोप लगाया जा रहा है।’’ 

 इसने उच्च न्यायालय से इस याचिका को खारिज करने की अपील करते हुए कहा था कि ‘‘कानून के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया गया।’’  जैन ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया था कि भारतीय प्रतीक चिह्न (अनुचित प्रयोग निषेध) कानून का भी उल्लंघन किया गया क्योंकि ‘आप’ के पंजीकरण आवेदन पर राष्ट्रीय ध्वज पर बने ‘चक्र’ जैसा एक लोगो (प्रतीक चिह्न) बना था।  उन्होंने आयोग के उन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की मांग की थी, जो ‘आप’ के सदस्यों द्वारा जमा कराए गए दस्तावेजों की जांच में कथित तौर पर विफल रहे थे।  दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने 18 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था।