मेरठ :  यूपी की अखिलेश सरकार जात-पात का अंतर समाप्‍त करने के मद्देनजर अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए नई और सार्थक पहल की है। इसके तहत यूपी सरकार वैवाहिक बंधन में बंधे नव दंपतियों को मेडल और सर्टिफिकेट के साथ ही 50 हजार रुपए भी देगी। इस योजना की शुरुआत मेरठ से की जाएगी।

हाल ही में मेरठ में आठ ऐसे जोड़े सामने आए हैं जिन्होंने अंतरजातीय विवाह किया है। प्रदेश सरकार अब इन जोड़ों को 08 फरवरी को इनाम और मेडल देगी। मेरठ के जोन के कमिश्नर भूपेंद्र सिंह ने सरकार की ओर से चलाई जा रही इस प्रकार की नीतियों की पुष्टि की है।

उन्‍होंने बताया कि इन जोड़ों को कमिश्नर ऑफिस में ही सम्मानित करने का फैसला किया गया है। यह योजना पूरे राज्य में लागू है, इसके लिए शर्त केवल यह है कि लड़के या लड़कियों में से कोई एक अनुसूचित जाति का होना चाहिए।

सम्मानित होने और इनाम पाने के इच्छुक दंपति को मैरेज सर्टिफिकेट लेकर डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट के ऑफिस जाना होगा। डीएम के संतुष्ट होने पर उनका नाम कमिश्नर के पास भेजा जाएगा और वहीं से चेक जारी होगा।

इज्जत के नाम पर प्रेमियों की हत्या के लिए बदनाम इस इलाके के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्कीम को लेकर खुशी जताई है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसी स्कीमें लोगों की मानसिकता को बदलने में मदद करेंगी।

राजस्थान में भी लागू थी ये योजना

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में 2013-14 का बजट पेश कर अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन देने का प्रयास किया था। कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रदेश में अंतरजातीय विवाह करने वाले दंपति को बड़ी प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान किया था।

गहलोत ने कहा था कि सामान्य जाति के युवक-युवती द्वारा अनुसूचित जाति में विवाह करने पर पांच लाख रुपए दिए जाएंगे। इससे पहले यह प्रोत्साहन राशि पचास हजार रुपए थी।