नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा तीन दिन की भारत यात्रा पर रविवार सुबह यहां पहुंचे। ओबामा के भारत प्रवास के दौरान दोनों देश असैनिक परमाणु समझौते को कार्यरूप देने पर बने गतिरोध को समाप्त करने और व्यापार एवं निवेश के क्षेत्रों में रिश्ते प्रगाढ़ करने के अलावा रक्षा सहयोग समझौता करना चाहेंगे।

प्रोटोकाल से हटते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद पालम हवाई अड्डे पर ओबामा की अगवानी की। मोदी और ओबामा आपस में गर्मजोशी से मिले और एक-दूसरे को गले लगाया। ओबामा के साथ उनकी पत्नी मिशेल और उच्च स्तरीय शिष्टमंडल भी आया है। पालम एयरपोर्ट पर अपने आधिकारिक विमान एयरफोर्स वन से रविवार सुबह 9.50 बजे बराक ओबामा अपनी पत्‍नी मिशेल ओबामा के साथ पहुंचे। प्रोटोकॉल तोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद पालम एयरपोर्ट पर पहुंचे और ओबामा को रिसीव किया। सोमवार को गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने जा रहे ओबामा भारत की दो बार यात्रा करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बाद प्रधानमंत्री मोदी भारत के ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री बन गए हैं जिन्होंने ओबामा के लिए खास सम्मान प्रदर्शित करने का यह तरीका अपनाया। पिछली बार, नवंबर 2010 में ओबामा जब भारत यात्रा पर आए थे, तब सिंह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर ने हवाईअड्डे पर उनका स्वागत किया था।

ओबामा और मोदी को एक-दूसरे के साथ गर्मजोशी से गले मिलते देखकर, उस मुलाकात की गर्मजोशी की याद भी ताजा हो गई, जो अमेरिकी राष्ट्रपति और सिंह की मुलाकात में देखने को मिली थी। उस समय ओबामा तत्कालीन प्रधानमंत्री से गले मिले थे और उन्होंने कौर का स्नेहाभिवादन किया था। मिशेल ने भी इसी तरह से सिंह और कौर का अभिवादन किया था। भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा हवाईअड्डे पर अमेरिकी राष्ट्र प्रमुख का स्वागत करना यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक महाशक्ति के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को कितना अधिक महत्व देता है।

ओबामा पहले अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे जो सोमवार को आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि बनेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति असैनिक परमाणु समझौते के क्रियान्वयन पर गतिरोध भंग करने के रास्ते और रक्षा एवं आर्थिक रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने समेत अनेक सामरिक मुद्दों पर मोदी के साथ चर्चा करेंगे। दोनों देश ओबामा की यात्रा के नतीजों को ‘शानदार’ बनाने के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं। दोनो देश व्यापार और आर्थिक रिश्तों को बढ़ाने के तरीकों और जलवायु परिवर्तन के अहम मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे।

अधिकारियों ने बताया कि परमाणु करार पर ‘प्रगति हुई है’ और भारत ‘अत्यधिक अहम’ क्षेत्र में अमेरिका के साथ ‘‘प्रभावी रूप से’’ काम करने को लेकर आशावादी है। गौरतलब है कि भारतीय उत्तरदायित्व कानून किसी तरह की परमाणु दुर्घटना होने की स्थिति में आपूर्तिकर्ता को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराता है जबकि फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों ने भारत से वैश्विक नियमों का पालन करने को कहा है जिसके तहत प्राथमिक जिम्मेदारी ऑपरेटर की होती है। चूंकि देश में सभी परमाणु संयंत्रों का संचालन सरकारी कंपनी ‘न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड’ (एनपीसीआईएल) करती है, अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करने का मतलब होगा कि दुर्घटना होने पर सरकार को क्षतिपूर्ति की अदायगी करनी होगी।

इसी हफ्ते, अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने रेखांकित किया था कि दोनों देशों के बीच का द्विपक्षीय कारोबार पिछले दशक में पांच गुना बढ़ कर 100 अरब डालर हो गया है। वर्मा ने कहा, ‘‘हम महसूस करते हैं कि इसका कोई कारण नहीं है कि यह 2020 तक पांच गुना और बढ़ कर 500 अरब डालर हो जाए। जलवायु परिवर्तन एक और मुद्दा है जो मोदी और ओबामा के बीच वार्ता में प्रमुखता से उठ सकता है। ओबामा और मोदी दोनों भारत के पड़ोस से संबंधित मुद्दों और साथ ही वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे। ओबामा विश्व प्रसिद्ध ताजमहल का दीदार करने आगरा जाने वाले थे, लेकिन उन्होंने आगरा की यात्रा रद्द कर दी और सउदी अरब के शाह अब्दुल्ला के निधन के बाद अब वह नयी दिल्ली से सीधे सउदी अरब जाएंगे। इस बीच राष्ट्रीय राजधानी में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था की गई है। दिल्ली पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के निशानेबाज ओबामा की यात्रा वाले मार्गों पर पड़ने वाली उंची इमारतों पर तैनात रहेंगे।

मौर्य शेरेटन होटल के सामने हरेभरे क्षेत्र की पूरी तरह से जांच की गई है और पुलिस कर्मियों को अमेरिकी राष्ट्रपति के यहां रहने तक इस क्षेत्र के जंगलों में तैनात किया गया है। मध्य दिल्ली को अभेद्य किले में तब्दील कर दिया गया है और सुरक्षा एजेंसियों ने करीब 71 इमारतों को आंशिक तौर पर या पूरी तरह से बंद कर दिया है। यहां तक कि सांसदों तथा सैन्य बलों के अधिकारियों सहित इस क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों को या तो विशेष पास जारी किये गये हैं या क्षेत्र में प्रवेश के लिए उन्‍हें पहचान साबित करनी होगी। अमेरिकी खुफिया सेवा और केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों की एक संयुक्त टीम विशेष रूप से स्थापित नियंत्रण कक्षों की निगरानी रखेंगे। इन कक्षों को नये लगाए गए सीसीटीवी कैमरों से जोड़ा गया है।