कास्टिंग काउच को लेकर टिस्का ने बताया कि बॉलीवुड में महिलाओं और पुरुषों दोनों को ही इसका सामना करना पड़ता है. इसके साथ्ा ही उन्होंने इससे बचने के भी कई तरीके बताये. गौरतलब है कि शुक्रवार को एपीजे कोलकाता साहित्य महोत्सव में पहुंची टिस्का ने कास्टिंग काउच को लेकर बताया कि यह मांग और पूर्ति का सवाल है. उन्होंने बताया कि बॉलीवुड में मांग से कहीं ज्यादा कलाकारों की भरमार है. ऐसे में निर्माता-निर्देशक फिल्मों में नये चेहरों या कई बार जाने-माने चेहरों को भी मौका देने के नाम पर उनके सामने अपनी निजी मांगों को रखते हैं.
पुरुषों को भी गुजरना पड़ता है इससे
इसके साथ ही टिस्का ने यह भी बताया कि यहां उन्होंने कभी दुष्कर्म जैसा कोई वाक्या नहीं सुना है. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी राहत और चौंकाने वाली बात तो यह है कि यहां पर समलैंगिक निर्देशकों की संख्या काफी ज्यादा है. यह समस्या महिलाओं और पुरुषों के लिए समान है. ऐसा इसलिये क्योंकि कई बार महिलाओं की तरह ही पुरुषों को भी इस मुसीबत से होकर गुजरना पड़ता है. ऐसे में हां या ना कहना जवाब देने वाले के चुनाव पर निर्भर करता है.
टिस्का ने लिखी किताब
बताते चलें कि आमिर खान की बहुचर्चित फिल्म 'तारे जमीं पर' में मां का किरदार निभा चुकीं टिस्का चोपड़ा ने 'एक्टिंग स्मार्ट' नाम से एक किताब भी लिखी है. उनकी यह किताब पूरी तरह से बॉलीवुड में कॅरियर बनाने पर आधारित है. इस किताब में टिस्का ने अपने उन अनुभवों को बांटा है, जिनसे वह फिल्म जगत में कदम रखने के बाद गुजरी थीं. इस किताब में उन्होंने कास्टिंग काउच के बारे में भी बहुत कुछ बताने की कोशिश की है.
Casting Couch पर टिस्का का खुलासा, बॉलीवुड में पुरुषों को भी सहना पड़ता है बहुत कुछ
आपके विचार
पाठको की राय