नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने नौला फाउंडेशन के साथ मिलकर हिमालय दिवस का आयोजन किया। इस साल की थीम 'हिमालय का योगदान और हमारी जिम्मेदारियां' रही। यह आयोजन 'आजादी का अमृत महोत्सव' के चल रहे उत्सव का हिस्सा था। हिमालय दिवस हर साल 9 सितंबर को उत्तराखंड राज्य में मनाया जाता है। हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र और क्षेत्र के संरक्षण के उद्देश्य से यह मनाया जाता है। इसे 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने आधिकारिक तौर पर हिमालय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। हिमालय के महत्व को समझाते हुए राजीव रंजन मिश्रा, महानिदेशक एनएमसीजी ने हिमालय में अनियोजित तरीके से शहरीकरण पर चिंता जताई और कहा, 'हिमालय के पहाड़ी नगरों को खराब भवन योजना और डिजाइन, कमजोर बुनियादी ढांचे (सड़कें, सीवेज, जल आपूर्ति आदि) और पेड़ों की अभूतपूर्व कटाई के कारण कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह गंभीर पारिस्थितिक मुद्दों की वजह बनता है।' उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशील पहाड़ी नगरों की योजनाओं और डिजाइनों को विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा, 'मैदानों और पहाड़ों में शहरों के लिए एक ही तरह के मास्टर प्लान नहीं हो सकते हैं।' उन्होंने इस पर जोर दिया कि हिमालय न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए शक्ति का एक स्रोत और एक मूल्यवान विरासत है और हमें उसे संरक्षित करने की आवश्यकता है। श्री मिश्रा ने कहा, 'सामुदायिक भागीदारी के साथ वैज्ञानिक ज्ञान से इसे संभव बनाया जा सकता है और हम नौला फाउंडेशन के प्रयासों का स्वागत करते हैं।
हिमालय के संरक्षण के लिए सामुदायिक भागीदारी के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण की आवश्यकता: राजीव रंजन मिश्रा
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