नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंदर यादव ने डेनमार्क के जलवायु, ऊर्जा और उपयोगिता मंत्री, महामहिम डैन जोर्गेनसन से मुलाकात की। दोनो नेताओं के बीच यह बैठक भारत और डेनमार्क के बीच पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्रों में आम द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी। डेनमार्क के मंत्री महोदय डैन जोर्गेनसन इन दिनों एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं। बैठक में भूपेंदर यादव ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और मैत्रीपूर्ण संबंधों को स्वीकार करते हुए भारत में 'श्वेत क्रांति' में डेनमार्क के योगदान पर प्रकाश डाला। यादव ने कहा कि डेनमार्के के सहयोग के कारण भारत आज दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
यादव ने तमिलनाडु में स्वच्छ और पवन ऊर्जा केंद्र की स्थापना में डेनमार्क के योगदान की प्रशंसा की। उन्होंने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश करने वाली डेनमार्क की कंपनियों की भी सराहना की। दोनों मंत्रियों ने हरित रणनीतिक साझेदारी (जीएसपी) और ग्लास्गो में होने वाली आगामी कॉफ्रेंस ऑफ दि पार्टीज-सीओपी-26 बैठक पर विचार विमर्श किया। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल-आईपीसीसी के नीति निर्माताओं के लिए भौतिक विज्ञान सारांश (एसपीएम) के हाल ही में जारी निष्कर्षों को बहाल करते हुए, श्री यादव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुनिया को भूले हुए वाक्यांशों 'इक्विटी, सीबीडीआर-आरसी, और राष्ट्रीय परिस्थितियों' के बारे में याद रखना चाहिए जो यूएनएफसीसीसी और इसके पेरिस समझौते के आधार हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सीओपी-26 को अनुकूलन, वित्त, राह्त उपायों आदि जैसे कार्य सूची के सभी विषयों पर समान व्यवहार के साथ एक संतुलित परिणाम सुनिश्चित करना चाहिए।