मुंबई । कवि और गीतकार जावेद अख्तर ने तालिबान को बर्बर बताते हुए उसकी तुलना राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस), विहिप और बजरंग दल से की है। उन्होंने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं कि तालिबानी बर्बर है और उनकी करतूतें निंदनीय हैं। उन्होंने कहा कि आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल का समर्थन करने वाले भी ऐसे ही हैं।
राज्यसभा सांसद रह चुके जावेद अख्तर ने कहा कि देश में मुस्लिमों का एक छोटा सा हिस्सा ही तालिबान का समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा कि दक्षिणपंथियों की विचारधारा दमनकारी है। चर्चा में खुलकर अपने विचार रखते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि तालिबान और तालिबान की तरह बनने की चाहत रखने वालों के बीच अजीबोगरीब समानता है।
दिलचस्प बात यह है कि दक्षिणपंथी इसका इस्तेमाल खुद को प्रमोट करने के लिए इस उद्देश्य से करते हैं कि वे भी उसी तरह बन सकें, जिसका वे विरोध कर रहे हैं। देश के मुस्लिमों की ओर से तालिबान का समर्थन किए जाने संबंधी सवाल कर उन्होंने कहा मुझे उनका बयान शब्दश: याद नहीं है, लेकिन कुछ मिलाकर उनकी भावना यह थी कि वे अफगानिस्तान में तालिबान का स्वागत करते हैं। मैं कहना चाहूंगा कि यह हमारे देश की मुस्लिम आबादी को छोटा सा हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, जिन मुस्लिमों से मैंने बात की, उनसे से अधिकतर हैरान थे कि कुछ लोगों ने ऐसे बयान दिए। भारत में युवा मुसलमान अच्छा रोजगार, अच्छी शिक्षा और अपने बच्चों के लिए अच्छा स्कूल चाहते हैं, लेकिन दूसरी तरह कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस तरह की संकीर्ण सोच में विश्वास रखते हैं-जहां महिला और पुरुषों से अलग-अलग व्यवहार होता है और पीछे की ओर ले जानी वाली सोच रखी जाती है। जावेद अख्तर ने कहा जैसा कि मैंने कहा कि ये लोग थोड़े से हैं, ऐसे में वे जो कहते हैं, कहने दीजिए वे इसमें सफल नहीं होने वाले।
उन्होंने कहा दुनियाभर में दक्षिणपंथी भी यही चाहते हैं। जैसे तालिबान, इस्लामिक राष्ट्र चाहता है, वैसे ही हिंदू राष्ट्र चाहते हैं, वे एक जैसे माइंडसेट के हैं फिर चाहे वे मुस्लिम हों, ईसाई, यहूदी या फिर हिंदू। उन्होंने कहा, बेशक तालिबानी बर्बर हैं, लेकिन जो संघ, विहिप और बजरंग दल को सपोर्ट कर रहे, वे भी ऐसे ही है। यह देश मूलत: सेक्युलर देश है, यहां की ज्यादातर आबादी सेक्युलर है, ऐसे में तालिबान का विचार किसी भी भारतीय को आकर्षित नहीं कर सकता। इस देश के ज्यादातर लोग सभ्य और सहनशील हैं, इसका सम्मान किया जाना चाहिए। भारत कभी तालिबानी देश नहीं बन सकता।
जावेद अख्तर ने संघ, विहिप और बजरंग दल से की तालिबान की तुलना, कहा दोनों का माइंडसेट एक
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