सिडनी : ऑस्ट्रेलिया में भारत के खराब गेंदबाजी आक्रमण को निशाने पर लेते हुए पूर्व क्रिकेट कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि इस समय हमें टेस्ट मैचों के लिए ‘नए गेंदबाजों की तलाश’ करनी चाहिए ताकि विदेशी परिस्थितियों में टीम का गेंदबाजी आक्रमण बेहतर हो सके।

भारतीय गेंदबाज ईशांत शर्मा, मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव और रविचंद्रन अश्विन सभी चारों टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलिया के 20 विकेट झटकने में नाकाम रहे और भारत ने ऑस्ट्रेलिया के हाथों 2-0 से श्रृंखला हारकर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी गंवा दी। गावस्कर ने टेस्ट श्रृंखला में भारत की हार के बाद कहा कि अब बदलाव का समय आ गया है।

उन्होंने कहा, ‘ऐसा दूसरी बार हुआ जब चार में से तीन गेंदबाज ऑस्ट्रेलिया में थे और दूसरी बार हुआ है जब वे असफल रहे जैसा कि 2011-12 में हुआ था। इसलिए आप इस बात के बावजूद की वे घरेलू श्रृंखला में विकेट झटक सकते हैं उन्हें टीम में नहीं रख सकते क्योंकि विदेशों में पिछले तीन सालों में उन्होंने कुछ नहीं किया। जिस तरह हमने बल्लेबाजी में किया उसी तरह हमें नए गेंदबाजों की तरफ देखना होगा और उन्हें घरेलू क्रिकेट में तलाशना होगा।’

गावस्कर ने कहा, ‘नए बल्लेबाजी आक्रमण ने बहुत अच्छे से पैर जमाए हैं। पिछले दौरे में राहुल द्रविड़, वीरेन्द्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण थे, तब भी वे उस दौरे में कुछ ज्यादा नहीं कर पाए थे। अब इस दौरे पर टीम में नए बल्लेबाज थे। कोहली के अलावा हर कोई ऑस्ट्रेलिया में पहली बार खेल रहा थ। आपने नए बल्लेबाजों में विश्वास दिखया, मुझे लगता है कि आपको नए गेंदबाजों में भी विश्वास और धर्य दिखाना होगा।’

शमी ने भले ही सिडनी टेस्ट में पांच विकेट लिए या ऑफ स्पिनर अश्विन ने चार विकेट झटके लेकिन उन्होंने काफी रन भी दिए और गावस्कर का मानना है कि गेंदबाजों ने यकीनन भारत के प्रदर्शन को प्रभावित किया। बल्लेबाजी में मामला पूरा उल्टा दिखा और कोहली के नेतृत्व में नए बल्लेबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया।

गावस्कर ने कोहली की तारीफ करते हुए कहा, ‘कोहली का प्रदर्शन असाधारण था। उन्होंने चार शतक जमाए और हर बार जब वह बल्लेबाजी करने आए तो लगा कि वह शतक जमाएंगे। जहां तक कप्तानी का सवाल है उन्होंने सिडनी में दिखाया कि उन्होंने एडीलेड टेस्ट से क्या सीखा। एडीलेड टेस्ट में टीम जीत के लिए खेल रही थी, ज्यादा व्यवहारिक होता कि वृद्धिमान साहा के आउट होने के बाद टीम समझदारी से खेलती। जब जीत को निगाह में रखकर खेलें और जीत संभव ना दिखे तो मैच को बचाने की कोशिश करनी चाहिए जैसा उन्होंने सिडनी में किया।’