भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 125 रुपए का विशेष स्मारक सिक्का जारी किया। इस दौरान उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कहा कि हम श्रील प्रभुपाद जी की 125वीं जन्मजयंती मना रहे हैं। ये ऐसा है जैसे साधना का सुख और संतोष एक साथ मिल जाए। इसी भाव को आज पूरी दुनिया में श्रील प्रभुपाद स्वामी के लाखों करोड़ों अनुयाई और लाखों करोड़ों कृष्ण भक्त अनुभव कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हम सब जानते हैं कि प्रभुपाद स्वामी एक अलौकिक कृष्णभक्त तो थे ही, साथ ही वो एक महान भारत भक्त भी थे। उन्होंने देश के स्वतन्त्रता संग्राम में संघर्ष किया था। उन्होंने असहयोग आंदोलन के समर्थन में स्कॉटिश कॉलेज से अपना डिप्लोमा तक लेने से मना कर दिया था। भारत का शाश्वत संस्कार है 'सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया' यह विचार इस्कॉन के जरिए लाखों करोड़ो लोगों का संकल्प बन चुका है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को 125 रुपए के इस सिक्के को ही जारी किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को 125 रुपए के इस सिक्के को ही जारी किया है।

इस्कॉन ने दुनिया को आस्था का मतलब बताया

मोदी ने कहा कि आज दुनिया के अलग-अलग देशों में सैकड़ों इस्कॉन मंदिर हैं, कितने ही गुरुकुल भारतीय संस्कृति को जीवंत बनाए हुए हैं। इस्कॉन ने दुनिया को बताया है कि भारत के लिए आस्था का मतलब है- उमंग, उत्साह और उल्लास और मानवता पर विश्वास।

स्वामी प्रभुपाद ने 100 से ज्यादा मंदिरों की स्थापना की

स्वामी प्रभुपाद ने इस्कॉन की स्थापना की थी। इसे सामान्य तौर पर हरे कृष्ण आंदोलन के तौर पर जाना जाता है। इस्कॉन ने गीता जैसे वैदिक साहित्य का दुनिया भर में प्रचार-प्रसार किया। साथ ही इनका 89 भाषाओं में अनुवाद भी कराया। स्वामी प्रभुपाद ने 100 से ज्यादा मंदिरों की स्थापना की और दुनिया को भक्ति योग का मार्ग दिखाने वाली कई किताबें लिखीं।

स्थापना के 11 साल बाद ही कई देशों में फैला इस्कॉन आंदोलन

इस्कॉन की वेबसाइट के अनुसार, यह ब्रह्म माधव गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय का एक हिस्सा है, जो चार वैष्णव संप्रदायों में से एक है। इस्कॉन के उपदेशों और प्रथाओं को चैतन्य महाप्रभु (1486-1532) ने उनके भाई नित्यानंद प्रभु और उनके छह सहयोगियों के साथ सिखाया था। इस्कॉन आंदोलन की स्थापना के बाद केवल 11 सालों में पूरी दुनिया के कई देशों में फैल गया।