अफगानिस्तान में तालिबान की बर्बरता को देखते हुए सोशल मीडिया ऐप फेसबुक ने बड़ी कार्रवाई की है। इसके तहत अब वहां के फेसबुक यूजर्स किसी दूसरे अकाउंट की फ्रेंड लिस्ट नहीं देख पाएंगे। फेसबुक ने इसे अस्थाई रूप में लागू किया है।

फेसबुक सिक्योरिटी पॉलिसी के प्रमुख नथानिएल ग्लिशर ने कहा कि अफगानिस्तान में फेसबुक पर लोगों की फ्रेंड लिस्ट देखने या सर्च करने के ऑप्शन को अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया है। यह अफगान यूजर्स को तालिबान से संभावित अटैक से बचाने की कोशिश है।

ग्लिशर ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि एक हफ्ते की कड़ी मेहनत के बाद फेसबुक ने अफगानिस्तान में लोगों के लिए वन-क्लिक टूल डेवलप किया है, जो उन्हें अपना अकाउंट बंद करने की अनुमति देता है।

आशंका थी कि तालिबान सोशल साइट्स की मदद से अफगानी नागरिकों के सोशल कनेक्शन और डिजिटल हिस्ट्री को ट्रैक कर सकता है।

सोशल मीडिया कंपनियों ने की यूजर्स की चिंता

फेसबुक ने अपने यूजर्स के लिए 'one-click tool' लॉन्च किया। टूल का इस्तेमाल करने के बाद वे लोग जो उनकी फ्रेंड लिस्ट में नहीं है, वो न तो उनकी टाइमलाइन पोस्ट देख पाएंगे और न ही उनकी प्रोफाइल फोटो शेयर कर पाएंगे।
ट्विटर जल्द से जल्द पुराने ट्वीट्स को डिलीट करने पर काम कर रहा है। इसके लिए कंपनी इंटरनेट आर्काइव की मदद ले रही है। अगर अफगानी नागरिक अपनी अहम जानकारी वाले अकाउंट्स को एक्सेस नहीं कर पाते हैं, तो कंपनी इन अकाउंट्स को अस्थाई तौर पर बंद कर सकती है। कंपनी ने कहा कि अकाउंट तब तक बंद रखे जाएंगे जब तक कि यूजर्स इन अकाउंट्स को एक्सेस कर अपने से जुड़ी सभी अहम जानकारियां हटा नहीं लेते।
LinkedIn ने अपने यूजर्स के कनेक्शन को हाइड कर दिया है। कंपनी के प्रवक्ता के मुताबिक, इसके बाद अब अन्य यूजर्स सोशल मीडिया साइट पर इन जनकारियों को एक्सेस नहीं कर पाएंगे।

मानवाधिकार संगठनों और पत्रकारों ने सोशल मीडिया कंपनियों से अफगानी लोगों की जानकारियां सेफ रखने की मांग उठाई थी ।

फेसबुक के साथ-साथ इंस्टाग्राम, ट्विटर और LinkedIn जैसे सोशल मीडिया ऐप भी इस दिशा में कदम उठा रहे हैं। इसके तहत सभी कंपनियां तालिबान से बचाव के लिए अफगानी यूजर्स के सोशल मीडिया अकाउंट को सिक्योर कर रही हैं।

इससे पहले कई मानवाधिकार संगठनों और पत्रकारों ने सोशल मीडिया कंपनियों से इस ओर ध्यान देने की बात कही थी। इसमें कहा गया था कि चरमपंथी संगठन तालिबान इन साइट्स की मदद से अफगानी नागरिकों के सोशल कनेक्शन और डिजिटल हिस्ट्री को ट्रैक कर सकता है।