भुवनेश्वर : ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में शनिवार से शुरू हो रहे हॉकी के प्रतिष्ठित टूर्नामेंट चैम्पियंस ट्रॉफी में दुनिया की आठ शीर्ष टीमें खिताब हासिल करने के लिए एक-दूसरे को चुनौती देती नजर आएंगी। भारतीय टीम के लिहाज से भी यह टूर्नामेंट काफी महत्वपूर्ण होगा।

चैम्पियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट में मेजबान भारत कभी भी चैम्पियन नहीं बन सका है। वैसे, भारतीय टीम के हाल के प्रदर्शनों ने खिताबी जीत की उम्मीदों को नए पंख जरूर लगा दिए हैं। खासकर पिछले कुछ महीनों के प्रदर्शन से भारतीय हॉकी प्रशंसक काफी उत्साहित हैं। भारतीय टीम ने जहां ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता वहीं, एशियाई खेलों में भी 16 साल बाद टीम स्वर्ण पदक हासिल करने में कामयाब रही।

वैसे, इन तीनों टूर्नामेंट के दौरान टीम के कोच रहे टोरी वॉल्श के विवादास्पद विदाई के बाद चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत कैसा प्रदर्शन कर पाता है, यह देखने वाली बात होगी। भारत उन 15 देशों में शामिल है, जिन्होंने इस आयोजन में हिस्सा लिया है लेकिन इनमें से पांच टीमें ऐसी हैं, जिन्होंने एक बार भी खिताबी जीत का स्वाद नहीं चखा है। भारत के अलावा इंग्लैंड, कोरिया और अर्जेटीना इस सूची में शामिल हैं। 1978 में शुरू इस टूर्नामेंट का आयोजन दो साल में एक बार होता है।

इस प्रतिष्ठित आयोजन में सबसे अधिक 13 बार चैम्पियन रही आस्ट्रेलियाई टीम इस साल लगातार छठी बार यह खिताब जीतने की कोशिश के तहत उतरेगी। मौजूदा ओलंपिक चैम्पियन जर्मनी ने यह खिताब नौ बार जीता है जबकि नीदरलैंड्स की टीम आठ बार चैम्पियन रही है।

इस साल मेजबान भारत को ग्रुप-बी में अर्जेटीना, नीदरलैंड्स और जर्मनी के साथ रखा गया है जबकि ग्रुप-ए में इंग्लैंड, बेल्जियम, आस्ट्रेलिया और पाकिस्तान हैं। भारत का पहला मैच 6 दिसम्बर को जर्मनी के साथ होगा। इसके बाद वह सात दिसम्बर को अर्जेटीना से भिड़ेगा। इसके बाद टीम नौ दिसम्बर को नीदरलैंड्स से मुकाबला करेगी।

टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला 14 दिसम्बर को खेला जाएगा। भारतीय टीम की कमान सरदार सिंह के हाथों में है लेकिन कप्तान का जर्मनी के साथ होने वाले पहले मुकाबले में खेलना तय नहीं दिख रहा है। आस्ट्रेलिया के साथ बीते दिनों हुए अभ्यास मैच के दौरान सरदार चोटिल हो गए थे।

भारतीय टीम के लिए जहां उसके स्टार गोलकीपर और उप-कप्तान पी.आर श्रीजेश से एक बार फिर बड़ी भूमिका निभाने की उम्मीद होगी वहीं, डिफेंडर वी. आर. रघुनाथ और रुपिंदरपाल सिंह पर पेनाल्टी कॉर्नर का फायदा उठाने का दारोमदार होगा। साथ ही, भारत की आक्रमण पंक्ति बहुत हद तक एस.वी. सुनील, आकाशदीप सिंह और निकिन थिमैया पर निर्भर होगी।