दानापुर। बिहार की अधिकतर नदियों में उफान है और कई जिलों में बाढ़ का कहर जारी है। आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 15 जिले के 16 लाख 91 लोग बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। पलायन और विस्थापन आम बात हो गई है। राहत कार्य के तहत बाढ़ पीड़ितों के लिए राज्य में 178 जगहों पर सामुदायिक रसोई की व्यवस्था की गई है। विभिन्न जिलों में एनडीआरएफ की 8 और एसडीआरएफ की 9 टीमें तैनात की गई हैं। इसी सिलसिले में राज्य में 1726 नावों की व्यवस्था भी राज्य सरकार द्वारा करवाई गी है। वहीं, फसल क्षति अनुदान के लिए किसानों का डेटा तैयार किया जा रहा है।
वहीं, पटना जिले में भी गंगा नदी में आई बाढ़ से दानापुर के दियारा में तबाही का दौर जारी है। दियारा के छह पंचायतों का शहर मुख्यालय से संपर्क टूट चुका है।
सबसे बुरा हाल दियारा के कासिमचक, अकिलपुर और हेतमपुर गांव का है जहां बाढ़ का पानी लोगों के घरों में घुस गया है। इस क्षेत्र में कई झोपड़ियां गिर गयी हैं। दियारा के कासिमचक गांव का हालात सबसे बुरा है, इस गांव के 2 दर्जन से अधिक बाढ़ पीड़ित परिवार पलायन कर चुके हैं। दियारा के लोग किसी तरह नाव के सहारे अपने पशु और सामान को नाव पर लादकर पीपापुल घाट दानापुर पहुंच रहे हैं। स्थानीय लोग अपनी कठिनाइयों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि पूरा गांव जलमग्न हो गया है। घरों के अंदर तीन से चार फीट पानी घुस गया है। बहुत सारे जानवर फंसे हुए हैं। इनका कहना है सरकार की कोई व्यवस्था नहीं है। ये लोग अपने खर्च से गांव से बाहर तक पहुंच रहे हैं क्योंकि किसी तरह जान तो बचाना ही है। सरकार ने इन दियारावासियों को रहने के लिए दानापुर बलदेवा स्कूल में राहत शिविर बनवाया है। इसमें बाढ़ पीड़ितों को ठहराया भी जा रहा है। बाढ़ पीड़ित कैंपस में पहुंची कासिम चक की महिलाओं ने बताया कि इनके घरों में 4 से 5 फीट पानी घुस गया तो रात भर पानी में खड़े रहे। किसी तरह राहत शिविर में नाव पहुंचे हैं। इनके साथ छोटे-छोटे बच्चे भूखे हैं। हालांकि सरकार की तरफ से एक किलो चूड़ा मिला है। बहरहाल गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने से लगातार पलायन जारी है।
बिहार के बाढ़ पीड़ितों के लिए राज्य में 178 जगहों पर सामुदायिक रसोई की व्यवस्था
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