स्वच्छता में देश के नंबर वन शहर इंदौर ने 'वाटर प्लस' भी हासिल कर लिया है। इसी के साथ इंदौर यह सर्टिफिकेट पाने वाला देश का पहला शहर बन गया है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में सबसे कठिन माने जाने वाले वाटर प्लस सर्वे के लिए केंद्रीय टीम 9 से 14 जुलाई तक इंदौर आई थी। आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने बुधवार शाम को इसकी घोषणा की। यह सर्टिफिकेट मिलने के बाद इंदौर का सफाई में लगातार 5वीं बार नंबर 1 आने का दावा मजबूत हो गया है।
टीम ने कम्युनिटी टॉयलेट पब्लिक टॉयलेट (CTPT) के साथ 11 पैरामीटर पर सर्वे शुरू किया था। सर्वे तीन-चार दिन चला। व्यवस्थाएं चाक चौबंद दिखाने के लिए अधिकारियों ने इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर को कंट्रोल रूम बना दिया था। 11 पैरामीटर्स पर करीब 200 लोकेशन देखने के बाद शहर को वॉटर प्लस सर्टिफिकेट मिला।
पिछली बार इंदौर के 200 नंबर कट गए थे, जिसके कारण वॉटर प्लस सर्टिफिकेट नहीं मिल पाया था। सेंट्रल मिनिस्ट्री ने स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए 11 पैरामीटर पर कुल 1800 नंबर तय किए हैं। इनमें वाटर प्लस के 700 नंबर थे। पिछली बार इंदौर को 500 नंबर मिले थे।
अब 7 स्टार का दावा पक्का
वाटर प्लस सर्टिफिकेट देश में किसी भी शहर को नहीं मिला है। इसके मिलने के बाद ही सेवन स्टार का दावा पक्का माना जा रहा है। देश में सूरत और अहमदाबाद के साथ नवी मुंबई भी वाटर प्लस के सर्वे के लिए इंदौर से मुकाबले में हैं। इंदौर ने इसी के लिए 300 करोड़ रुपए में नाला टैपिंग कर दो नदियों और 27 नालों को सीवर मुक्त किया है। शहर के पांच हजार से ज्यादा परिवारों ने 20 करोड़ खर्च कर नाले में सीधे गिरने वाले आउटफॉल को बंद कर घर खुदवाने के साथ ड्रेनेज लाइन में कनेक्शन लिया।
बारिश का सीजन ही सबसे बड़ी चुनौती
सबसे बड़ी चुनौती यह थी, सड़क या ड्रेनेज से पानी बहता नजर नहीं आना चाहिए। बारिश का सीजन होने से इंदौर के लिए यह चुनौती बहुत बड़ी थी कि कहीं भी पानी ज्यादा देर जमा नहीं रहे। नालों और नदियों में कचरा नजर न आए, इसके लिए 19 जोन पर तीन स्तर की व्यवस्था लगाई गई है। पहली लेयर में काम करने वाले निगमकर्मी हैं, दूसरी में CSI-दरोगा और तीसरी में नियंत्रणकर्ता अधिकारी। पूरी टीम सुबह 6 से मैदान संभाल रही थी और रात 12 बजे तक व्यवस्थाओं पर नजर रखी जा रही थी। निगमायुक्त प्रतिभा पाल व अपर आयुक्त संदीप सोनी इस पर नजर रखे थे।
निगम ने खर्च किए 300 करोड़ रुपए
19 जोन में सबसे ज्यादा फोकस शहर के 325 कम्युनिटी टॉयलेट और पब्लिक टॉयलेट पर था। 400 यूरिनल्स की भी व्यवस्था देखी गई। जांच दल ने शहर की चार वॉटर बॉडीज चेक की। सरस्वती और कान्ह नदी के अलावा दो नाले चेक किए गए। शर्त यह थी कि इनमें सीवर का पानी नहीं मिलना चाहिए और पानी में कोई सूखा कचरा नहीं होना चाहिए। चैंबर के ढक्कन से पानी निकलता हुआ नजर नहीं आना चाहिए।
7 बिंदुओं की सख्त गाइडलाइन का पालन जरूरी
- सभी घर ड्रेनेज लाइन या सेप्टिक टैंक से कनेक्टेड होने चाहिए। किसी भी घर का सीवरेज खुले में नहीं आना चाहिए।
- नालों और नदी में किसी प्रकार का सूखा कचरा तैरता नजर नहीं आना चाहिए।
- सीवरेज वाटर का ट्रीटमेंट कर कम से कम 25 प्रतिशत पानी सड़क धुलाई, गार्डन, खेती सहित अन्य में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
- सभी ड्रेनेज के ढक्कन बंद होने चाहिए और उनसे गंदा पानी बहकर सड़क पर नहीं आना चाहिए।
- चैंबर और मेन होल साल में कम से कम एक बार साफ होने चाहिए।
- ड्रेनेज की लाइनें चोक नहीं होनी चाहिए।
- एप पर आने वाली ड्रेनेज संबंधी शिकायतों का त्वरित समाधान होना चाहिए।