बिलासपुर। सीपत तहसील कार्यालय का एक और कारनामा सामने आया है। भूमि स्वामी अपनी जमीन का नक्शा, खसरा और ऋण पुस्तिका लेकर निश्चिंत है लेकिन ऑनलाइन में किसी और के नाम पर चढ़ा दी गई है। जब रिकार्ड दुरुस्त करने कहा जा रहा है तो नामांतरण की नकल मांगी जा रही है।
सीपत तहसील के अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यशैली न केवल सरकार को बदनाम करने वाली है बल्कि आम आदमी को भटकाने और परेशान करने वाली भी है। अब चांदनी गोयल का ही मामला ले ले तो खसरा न 162, सहित अन्य खसरा नम्बरो की कुल कृषि भूमि रकबा 1.67 एकड़, मौजा दर्रा भाटा, सीपत, पटवारी हल्का नम्बर 56 स्थित भूमि के स्वामित्व सम्बन्धी सभी मूल /असल दस्तावेज- रजिस्ट्री, ऋण पुस्तिका, लोक सेवा केंद्र से प्राप्त खसरा, बी-1, नक्शा की प्रतिलिपि 14 अगस्त 2019 से भूस्वामिनी चांदनी गोयल के पास है। लेकिन ऑनलाइन रिकार्ड में अचानक किसी अज्ञात ब्यक्ति नरेश यादव के नाम पर चढ़ा दिया गया है। आखिर ये कारनामा कैसे हुआ तहसील में कोई बताने के लिए तैयार नही है। जब आवेदिका तहसील कार्यालय में सवाल करतीं है और रिकार्ड दूरस्थ करने के लिए कहा जाता है तो नए सिरे से प्रकरण दर्ज करने और नामांतरण की नकल दिखाने के लिए कहा जाता है। मतलब साफ है कि तहसील में बैठे अधिकारी और कर्मचारी भूमि स्वामी को कार्यालय का फिर से चक्कर लगवाने की ब्यवस्था कर दिए है। अब मामला पेशी की हो तो बात समझ मे आए लेकिन हर पेशी में बाबू को चढ़ावा चढ़ाने का खेल भी शुरू हो जाएगा। जैसा कि इसके पहले भी तहसीलदार और बाबू की शिकायत कलेक्टर से हो चुकी है।
भूस्वामिनी का कहना है कि उन्होंने अपनी कृषि भूमि न तो किसी को बेची है ओर न ही गहन, बकसीस या गिरवी रखा है। तो ऑनलाइन रिकार्ड से कैसे भूस्वामिनी के नाम के स्थान पर दूसरे व्यक्ति का नाम दर्ज हो गया ?
जबकि दिनाक 14 अगस्त 2019 को लोक सेवा केंद्र से प्राप्त खसरा, बी-1, नक्शा की मूल प्रति भूस्वामिनी चांदनी गोयल के पास सुरक्षित उपलब्ध है। भूमि स्वामिनी का आरोप है कि तहसील के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों ने जनता को परेशान करने के लिये, जनता से जबरन रुपये ऐंठने के लिये ये नया धंधा शुरू किया है कि किसी की भी जमीन का भूस्वामी बदल दो ? जब रिकार्ड दिरूस्ती के लिए आए तो उसे मुर्गे की तरह हलाल करो।
00 क्या तहसीलों से फर्जी आदेश जारी हो रहे है ?
तहसील सीपत से प्रकरण क्रमांक 17अ, आदेश दिनांक 19/06/2019 अनुसार आवेदिका की भूमि का नामांतरण तो हो गया? आवेदिका को ऋण पुस्तिका भी जारी हो गयी। लेकिन उक्त आदेश या उक्त प्रकरण क्रमांक 17अ को ऑनलाइन खोजने पर वह गायब है। यदि जनता अपने आदेश की प्रतिलिपि प्राप्त करना चाहे तो मस्तूरी तहसील के चक्कर लगाने होंगे ? सीपत तहसील क्षेत्र इतना व्यापक़ ओर बड़ा है कि सीपत क्षेत्र के आसपास का निवासी यदि तहसील से सम्बंधित अपने किसी भी प्रकरण की नकल चाहेगा तो उसे मस्तूरी तक दौड़ लगानी पड़ेगी ? क्या ऑनलाइन सुविधाओं का लाभ जनता को मिल रहा है हमारा अध्यनन ओर अनुभव तो यही कहता है कि ऑनलाइन सुविधाओ को फेल करने में असफर और बाबू कोई कसर बाकी नही छोड़ रहे है ? मुख्यमंत्री अधिक से अधिक विभागों में ऑनलाइन सुविधा लेकर जनता की परेशानियां कम करना चाहते है लेकिन अफसर ओर बाबू कभी नही सुधरेंगे के वाक्य को सार्थक करने में लगे है।5 अगस्त 2021मनोज राज/उमेश सिंह
बिलासपुर सीपत तहसील कार्यालय का एक और कारनामा, दस्तावेजों में नामांतरण लेकिन ऑनलाइन में किसी और के नाम पर चढ़ा दी जमीन
आपके विचार
पाठको की राय