
नई दिल्ली: दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी द्वारा अपने बेटे को नायब इमाम घोषित करने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट एक अर्जी पर आज सुनवाई करेगी। याचिका में यह भी मुद्दा उठाया गया कि जामा मस्जिद दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्ति है या इमाम बोर्ड के कर्मी की, ऐसे में वे बेटे को किस आधार पर इमाम नियुक्त कर सकते हैं। यह याचिका जामा मस्जिद क्षेत्र निवासी सुहेल अहमद खान ने दायर की है। इसमें वर्तमान शाही इमाम के खिलाफ कई आरोप लगाते हुए वक्फ बोर्ड को जामा मस्जिद का कामकाज अपने हाथ में लेने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि जामा मस्जिद का निर्माण 1656 में मुगल बादशाह ने करवाया था। वर्तमान इमाम 13वें हैं। इनकी नियुक्ति 14 अक्तूबर 2000 को हुई थी जो इस्लामिक तरीके से नहीं की गई। इमाम की जिम्मेदारी है कि वे धार्मिक गतिविधियों को सही ढंग से निभाएं, लेकिन वे इन सभी बातों पर खरे नहीं उतरे।
उसका आरोप है कि शाही इमाम अवैध कब्जों, राजनीतिक व कई गैरकानूनी कामों में लगे हुए हैं और हाईकोर्ट व अन्य अदालतों में उनके खिलाफ मुकदमे भी विचाराधीन हैं। याची ने अदालत से आग्रह किया कि बोर्ड को जामा मस्जिद प्रशासन का कामकाज अपने हाथों में लेने का निर्देश देते हुए इमाम के कब्जों व अन्य कामों की सीबीआई से जांच करवाने का निर्देश दिया जाए।