भोपाल। पूर्व मंत्री, विधायक प्रियव्रत सिंह एवं जीतू पटवारी ने संयुक्त पत्रकार वार्ता कहा कि, कांग्रेस शासनकाल में इंदिरा गृह ज्योति योजना व इंदिरा किसान ज्योति योजना के माध्यम से उपभोक्ताओं को भारी रियायते दी गई थी। इंदिरा गृह ज्योति योजना के अंतर्गत 150 यूनिट तक की खपत वाले उपभोक्ताओं को 100 यूनिट की खपत हेतु 100 रुपये के बिल दिये गये थे व इस योजना से प्रदेश के लगभग 105 लाख से अधिक उपभोक्ता लाभांवित हुए थे।
इसी तरह इंदिरा किसान ज्योति योजना के अंतर्गत 10 एच.पी. तक के किसानों के बिल को आधा किया गया था जिससे लगभग 23 लाख उपभोक्ताओं को लाभ मिला।
01. कांग्रेस शासनकाल में जहाँ निरंतर प्रदेश वासियों के हित में कार्य किये गये थे वहीं वर्तमान शासन में उपभोक्ताओं को निरंतर बढ़े हुये बिल दिये जा रहे हैं। कर्मचारियों द्वारा मनमाने ढंग से रीडिंग लेकर उपभोक्ताओं को बढ़े बिल देकर परेशान किया जा रहा हैं। कांग्रेस शासनकाल में गलत बिलों में सुधार हेतु प्रदेश भर में 1210 समितियाँ गठित कर जन भागीदारी सुनिश्चित की थी। ताकि उपभोक्ताओं के गलत बिल पर समय पर निराकरण किया जा सके। वर्तमान में बिजली कम्पनी द्वारा उक्त समितियों की बैठक नहीं की जा रही है। जिसके कारण उपभोक्ताओं को गलत बिल जमा करने पर मज़बूर होना पड़ रहा है। करोना महामारी के समय भी गरीब उपभोक्ताओं को बिल माफ करने का आश्वासन देकर बिल केवल स्थागित किये गये थे बाद में जिनकी वसूली हेतु उपभोक्ताओं को परेशान किया जा रहा था। कांग्रेस शासनकाल में इलेक्ट्रिसिटी एक्ट की धारा 135/138 को निरस्त कराने हेतु कार्यवाही प्रारंभ भी की थी किन्तु वर्तमान शासन द्वारा इसे हथियार बनाकर गरीब उपभोक्ताओं एवं किसानों के घरेलू सामान, वाहन इत्यादि की कुर्की की जा रही है। बिजली कम्पनी ने केवल भोपाल में ही 42 ट्रेक्टर, 120 बाईक, 150 पानी की मोटर व अन्य सामग्री कुर्क की हैं। छतरपुर मालगुंवा में तो चक्की संचालक श्री मुनेंद्र राजपूत द्वारा कुर्की के कारण फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कांग्रेस शासनकाल में कहा था कि किसी भी बिजली वाले को कनेक्शन नहीं काटने देना यदि किस की बिजली कट भी गई तो मैं आके उसे जोड़ दूँगा उन्हीं के शासन काल में बकाया राशि के कारण किसानों के कनेक्शन काटे जा रहे हैं व कुर्की की जा रही है और उपभोक्ता फांसी लगाने पर मजबूर है।
02. बिजली की लाईनों, ट्रांसफार्मर व सब स्टेशनों के रख रखाव की व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी हैं रख रखाव के नाम पर 6-6 घण्टे बिजली बंद रखने के बाद भी ट्रिपिंग की संख्या बढ़ती जा रही है एवं रख रखाव के नाम पर लीपा पोती की जा रही है। रख रखाव हेतु कर्मचारियों की एवं सामग्री की व्यवस्था नहीं है एक बार खराबी आने पर उसे ठीक करने में 10-10 घण्टे लग रहे हैं।
प्रदेश में ट्रांसफार्मर फेल होने की संख्या बढ़ती जा रही है व बिजली केन्द्र के द्वारा एक-एक साल में खराब ट्रांसफार्मर नहीं बदलने के कारण उपभोक्ताओं में असंतोष व्याप्त है। बिजली कम्पनियों के पास ट्रांसफार्मर बदलने की व्यवस्था भी पर्याप्त नहीं है उपभोक्ताओं को अपने वाहन से ट्रांसफार्मर बदलने के लिये ले जाना पड़ता है। हमारे शासनकाल में किसानों द्वारा स्वयं के वाहन से ट्रांसफार्मर ले जाने पर भुगतान की व्यवस्था की गई थी जो कि वर्तमान में पूरी तरह बंद हैं। राजगढ़ में भुगतान करने के एक साल बाद भी ट्रांसफार्मर नहीं बदले गये। कांग्रेस शासनकाल में जनहित में लिये निर्णयों जैसे कि जानवर मृत होने पर राजस्व पुस्तिका 6/4 के नियम अनुसार प्रति जानवर मुआवजे का 25 हजार तक का प्रावधान किया गया था किन्तु वर्तमान में विद्युत कंपनियों द्वारा इस संबंध में कोई भुगतान किया जा रहा है और न ही कोई कार्यवाही की जा रही है।
03. मध्य प्रदेश पांवर जनरेशन कम्पनी की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही हे। जिस पर सरकार का ध्यान ही नहीं है। जानबूझ कर शासकीय ईकाईयां बंद की गई है। सिंगाजी की इकाई क्र. 03 एक साल में भी शुरू नहीं हुई और यूनिट क्र. 4 भी बंद हो गई। आज यूनिट तीन के बंद होने की बरसी है। वर्तमान में मांग से अधिक उत्पादन कर्ताओं से अनुबंद कर रखे है।
जिसके कारण बिना विद्युत प्रदाय के भी भुगतान करना पर रहा है। वहीं रख रखाव की कमी के कारण जैनरेशन प्लांट समय-समय पर बंद होते रहते है अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 तक सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना की इकाई क्रमांक 03 एवं 04 खराब पड़ी है। एवं पूरे वर्ष में उक्त इकाईयों द्वारा केवल 3 से 4 माह ही विद्युत का उत्पादन किया गया है। जिसके कारण लगभग 500 करोड़ यूनिटों का उत्पादन नहीं हो पाया और 02 हजार करोड़ रूपयों से अधिक का नुकसान हुआ है। जिसके कारण विद्युत वितरण कम्पनी को ओवरड्रॉल के कारण अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है। पॉवर जनरेशन कम्पनी को लम्बे समय से देयकों पूरा भुगतान नहीं किया जा रहा है जिसके कारण रख रखाव तो प्रभावित हो ही रहा है। व टूट-फूट भी बढ़ रही है। विगत वित्तीय वर्ष में विभिन्न जल विद्युत गृहों में खराबी आने के कारण लगभग 50 करोड़ युनिट का उत्पादन नहीं हो पाया है एवं सुधार कार्य में 35 करोड़ रुपये व्यय करने पड़े। यदि समय पर उत्पादन केन्द्रो का रख रखाव किया जाता तो जनरेटिंग कम्पनी को अनावश्यक व्यय नहीं करना पड़ता। विभिन्न कोयले कम्पनी द्वारा जनरेटिंग कम्पनी को निर्धारित से कम ग्रेड का कोयला प्रदाय किया जा रहा हैं। बड़े-बड़े पत्थर कोयले के साथ प्रदाय हो रहे हैं। जिस पर उचित ध्यान न देने पर जनरेटिंग स्टेशन की उत्पादन क्षमता में कमी आ रही है व टूट-फूट भी बड़ गई है। विद्युत जनरेटिंग प्लांट जैसे सारणी, अमरकंटक आदि के विस्तार हेतु 7000 करोड़ की आवश्यकता है जबकि इनको बजट में 100 करोड़ रुपये भी आवंटित नहीं किये गये।
मध्य प्रदेश पॉवर ट्रांसमीशन कम्पनी के अंतर्गत विद्युत हानि को कम करने हेतु अनेक नवाचार किये जा रहे थे जैसे कि अधिक क्षमता के तारों का उपयोग करना जिससे विद्युत हानि में कमी आती है व ट्रांसमिशन की क्षमता भी बढ़ती है। ट्रांसमिशन लाईनो में उक्त हानि को कारण राज्य की सीमा से विद्युत वितरण कम्पनी तक बिजली लाने में 50 पैसे प्रति यूनिट की लागत बढ़ जाती है। किन्तु वर्तमान में ट्रांसमिशन कम्पनी द्वारा नवाचारों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
केन्द्र शासन द्वारा वर्ष 2019 में कुसुम योजना का आरम्भ किया गया था, किंतु शिवराज सरकार द्वारा जो लाभ होना था, उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई और योजना को दबाकर बैठे मुख्यमंत्री आज दो साल बाद इसे मुख्यमंत्री योजना का नाम दे कर पर्ची चिपकाओ योजना बना रहे हैं। मुख्यमंत्री को जबाव देना चाहिए कि कुसुम योजना पर दो साल से कोई काम क्यों नहीं हुआ ? आज योजना का नाम बदलकर वोटों की खेती करने का षड्यंत्र क्यों कर रहे है।
04. भाजापा शासनकाल में सौभाग्य योजना में भारी भ्रष्टाचार किया गया जिसमें करोड़ों रूपये का लेन-देन हुआ है। मंडला, डिंडौरी, सीधी, सिंगरोली, झाबुआ, अलीराजपुर, भिण्ड व मुरैना में भ्रष्टाचार की शिकायते प्राप्त हुई थी। जिनकी जांच की जानी थी किंतु शासन द्वारा केवल मण्डला व डिण्डोरी की जांच कर मामले की लीपा पोती की जा रही है। भ्रष्ट अधिकारियों को वरिष्ठ पद पर प्रभार देकर उपक्रत किया जा रहा हे। केवल मण्डला डिण्डोरी और जबलपुर संभाग में 64 करोड़ से अधिक भ्रष्टाचार हुआ है। यदि सभी जिलों में जांच करायी जाये तो उक्त घोटाला सैकड़ो करोड़ का निकलेगा।
इस घोटाले की जांच हेतु विधानसभा में 05 मार्च 2021 को आधे घण्टे की चर्चा हेतु समय नियत किया गया था किन्तु सत्ता पक्ष द्वारा इस पर चर्चा नहीं होने दी गई।
05. शासन द्वारा उपभोक्ताओं को दी जा रही सबसिडी का भुगतान विद्युत वितरण कम्पनी को नहीं किया जा रहा है। जो कि बढ़कर राशि 24000 करोड़ हो गई हैं जिसके कारण विद्युत वितरण के द्वारा रख रखाव, नई लाईने व उपकेन्द्र बनाने के कार्य, नये ट्रांसफार्मर लगाये जाने के कार्य इत्यादि नहीं किये जा रहे हैं। नये कार्य नहीं हेने से प्रणाली पर भार बढ़ता जा रहा है। एवं बार-बार व्यवधान हो रहे हैं। समय पर जेनरेटरों को भुगतान नहीं हो पा रहा है जिसके कारण अधिकारियों व कर्मचारियों पर वसूली हेतु रबाव बढ़ाकर उपभोक्ताओं को परेशान किया जा रहा है। बढ़ते दवाब के कारण अधिकारियों व कर्मचारियों की मानसिक स्थिति खराब होती जा रही है। व दुर्घटना बढ़ रही है।
विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा किसानों को सीधे सब्सिडी प्रदाय करने के नाम पर (डारेक्ट बेनीफिट ट्रान्सफर स्कीम) धोखा दिया जा रहा है। इस योजना में शासन द्वारा किसानों के खाते में पैसा जमा करते ही विद्युत वितरण कम्पनियों द्वारा तुरंत ही निकाल लिया जाता है। जिससे किसानों के खातें में उक्त राशि की इन्ट्री नहीं आ पाती है। एवं किसान को इसका कोई लाभ नहीं मिल पाता है।
बिजली बनी लूट ....घर की कंपनी बंद और निजी क्षेत्र से खरीद में पिस रहा ईमानदार उपभोक्ता
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