नई दिल्ली । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन में कहा कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है और आतंकवाद के किसी भी कृत्य को समर्थन मानवता के खिलाफ अपराध है।
उन्होंने आतंकवाद के सभी रूपों  से लड़ने के लिए भारत के संकल्प की पुष्टि की और कहा कि शांति और समृद्धि आतंकवाद के साथ सह-अस्तित्व में नहीं हो सकती है, जैसा कि पाकिस्तान के मामले में देखा गया है।
श्री सिंह ने चीन, रूस और एससीओ के अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की उपस्थिति में कहा, "शांति और समृद्धि आतंकवाद के साथ नहीं रह सकती। आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है।"
उन्होंने कहा, "आतंकवाद का कोई भी कृत्य और सीमा पार आतंकवाद सहित इस तरह के कृत्यों का समर्थन, किसी के द्वारा, कहीं भी और किसी भी मकसद से किया जाना मानवता के खिलाफ अपराध है। भारत सभी रूपों के आतंकवाद से लड़ने के अपने संकल्प की पुष्टि करता है।"
श्री सिंह ने कहा कि भारत एससीओ के भीतर सुरक्षा क्षेत्र में "विश्वास के सुदृढ़ीकरण" के साथ-साथ समानता, आपसी सम्मान और समझ के आधार पर समूह के भागीदारों के साथ द्विपक्षीय रूप से संबंधों को मजबूत करने को उच्च प्राथमिकता देता है। उन्होंने कहा कि भारत शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर क्षेत्र बनाने और बनाए रखने में मदद करने के लिए एससीओ ढांचे के भीतर काम करने के अपने संकल्प में प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, "भारत एससीओ सदस्य देशों के साथ संयुक्त संस्थागत क्षमता विकसित करने के लिए अपनी तत्परता को दोहराता है जो व्यक्तिगत राष्ट्रीय संवेदनशीलता का सम्मान करता है और लोगों, समाजों और राष्ट्रों के बीच संपर्क और संपर्क बनाने के लिए सहयोग की भावना पैदा करता है।"
सिंह ने कहा कि भारत की भू-रणनीतिक स्थिति इसे "यूरेशियन भूमि शक्ति" के साथ-साथ हिंद-प्रशांत में एक हितधारक बनाती है। उन्होंने कहा, "क्षेत्र और हमारे संबंधित देशों के विकास और आर्थिक विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए सुरक्षा और स्थिरता सबसे आवश्यक घटक हैं।"
श्री सिंह ने कहा कि एससीओ राष्ट्र एक साथ लगभग आधी मानव आबादी के बराबर हैं और यह भौगोलिक विस्तार के संदर्भ में यूरेशियन महाद्वीप के अधिकांश हिस्से को कवर करता है।