शिवराज कैबिनेट मंगलवार को प्रदेश के चार बड़े बांधों से रेत व सिल्ट (गाद) निकालने का ठेका देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है। जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार प्रस्ताव में कहा गया है कि पहले चरण में रानी अवंतिबाई सागर, तवा, इंदिरा सागर और बाणसागर बांध को शामिल किया जाएगा। इन चारों जलाशयों से जो गाद निकाली जाएगी, उसमें 15 से लेकर 40 प्रतिशत तक रेत मिल सकती है।
प्रस्ताव के मुताबिक मध्य प्रदेश में पहली बार जलाशयों से गाद (सिल्ट) और रेत निकाली जाएगी। गाद किसानों को दी जाएगी, जिसे वे खेतों में डालेंगे। इससे भूमि की उर्वरा क्षमता में वृद्धि होगी। वहीं, जो रेत प्राप्त होगी, उससे शासन को राजस्व मिलेगा। ठेका कम से कम 15 और अधिकतम 25 साल के लिए उस कंपनी को दिया जाएगा, जिसका 3 साल का टर्नओवर 500 करोड़ रुपए का हो।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया, प्रदेश के बड़े जलाशयों से सिल्ट व रेत निकालने का प्रस्ताव तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने बताया था, लेकिन इसे अमल में लाने से पहले ही सरकार गिर गई। पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट ने कहा कि जनवरी 2020 को यह प्रस्ताव तैयार किया गया था। सिल्ट व रेत निकालने से बांधों की उम्र बढ़ेगी और पर्यावरण संतुलित होने के साथ-साथ जलाशय में पानी भरने की क्षमता भी बढ़ेगी।
जल संसाधन विभाग के मुताबिक जलाशयों में गाद जमने से जल भंडारण क्षमता कम हो जाती है। इसे ध्यान में रखते हुए जलाशयों से रेत व सिल्ट निकालने का ठेका देने का प्रस्ताव कैबिनेट में भेजा गया है। इसका असर सिंचाई और पेयजल व्यवस्था से जुड़ी योजनाओं पर पड़ता है। जलाशयों के अलग-अलग ठेके होंगे। यह काम ऐसी कंपनी को दिया जाएगा, जिसे इस क्षेत्र में काम करने का अनुभव हो।
नगरीय निकायों में बस स्टैंड के लिए निशुल्क मिलेगी भूमि
मध्य प्रदेश नजूल भूमि निर्वर्तन निर्देश 2020 में संशोधन करके नगरीय निकायों में बस स्टैंड बनाने के लिए निशुल्क भूमि का प्रावधान किया जाएगा। इसके लिए राजस्व विभाग कैबिनेट में प्रस्ताव रखेगा। दरअसल, नियम में अभी मार्केट, कॉम्प्लेक्स या बस स्टैंड बनाने के लिए भूमि के बाजार मूल्य के 50% पर भूमि आवंटन का प्रावधान है।
अवैध मोबाइल टाॅवर समझौता शुल्क देकर नियमित होंगे
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने प्रदेश में नियम विरुद्ध स्थापित मोबाइल टॉवर को नियमित करने का प्रस्ताव कैबिनेट में स्वीकृति के लिए भेजा है। इसके मुताबिक प्रदेश में निजी भूमि, स्थानीय निकाय, सार्वजनिक उपक्रम, आयोग आदि की भूमि पर मोबाइल टावर बिना अनुमति स्थापित हैं, तो उन्हें हटाने की जगह समझौता शुल्क लेकर नियमित किया जाएगा। भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में 50 हजार रुपए शुल्क लिया जाएगा, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में यह राशि 20 हजार रुपए करना प्रस्तावित है।