नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात की गुलबर्गा सोसायटी सामूहिक नरसंहार मामले को तीन माह के अंदर निपटाने के लिए गुजरात की स्थानीय अदालत को निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने धीमी गति से चल रही सुनवाई पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि वर्ष 2002 के इस मामले की सुनवाई तीन माह के अंदर खत्म कर इस पर स्थानीय कोर्ट फैसला सुनाए। गौरतलब है कि गुजरात में हुए दंगों के दौरान दंगाइयों ने गुलबर्गा सोसाएटी को निशाना बनाया था। इस नरसंहार में एक कांग्रेसी सांसद समेत 67 लोगों की मौत हुई थी।
मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एचएल दत्तू ने मामले की जांच कर रही एसआईटी को कहा कि वह मामले के निपटारे में तेजी दिखाए। एसआईटी इससे संबंधित नौ मामलों की जांच कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना हमारी इजाजत के स्थानीय अदालत इस मामले में कोई फैसला नहीं सुनाएगी। सुनवाई के दौरान पूर्व सीबीआई निदेशक आरके राघवन ने कहा कि मामले का तीन माह के अंदर निपटारा करना बेहद मुश्किल है।
इसके जवाब में कोर्ट का कहना था कि वह अपनी तरफ से तेजी दिखाएं। यदि तीन माह में फैसला नहीं होता है तो वह दोबारा इस कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं। इसके अलावा कोर्ट ने गुजरात दंगों से जुड़े नौ मामलों में जांच कर रही एसआईटी को उसके काम के लिए बधाई भी दी। इन मामलों में नरेंद्र मोदी को क्लिन चिट दी गई थी।