क्या आप जानते हैं कि जब एक बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसका लाभार्थी (नॉमिनी) व्यक्ति मिलने वाली कवर राशि का उत्तराधिकारी बन जाता है। वहीं, अगर बीमाधारक ने किसी को नॉमिनी नहीं बनाया है तो परिवार को कवर राशि पर दावा करने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता है। नॉमिनी बनाने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि परिजनों को बीमा की राशि दावा करने में दिक्कत नहीं होती है। कोरोना संकट के बाद यह आवश्यक हो गया है कि आप अपने सभी निवेश में नॉमिनी का नाम जरूर दें।
अगर, नॉमिनी नाबालिग है तो उस हालात में 18 साल की उम्र तक के लिए एक गार्जियन को नियुक्त करना होता है। बजाज कैपिटल के संयुक्त अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक संजीव बजाज ने बताया कि एक बीमाधारक किसी ऐसे व्यक्ति को नामित कर सकता है, जो जीवन बीमा पॉलिसी में मृत्यु राशि प्राप्त करने का हकदार है। हालांकि, नामांकित व्यक्ति को मिली राशि का उपयोग करने का अधिकार नहीं हो सकता है। वह केवल बीमित व्यक्ति के कानूनी उत्तराधिकारियों की ओर से धन का एक कार्यवाहक होते हैं। अगर बीमाधारक ने अपने माता-पिता, पति या पत्नी और बच्चों को नॉमिनी बनाया है तो वह मिलने वाली राशि के अत्तराधिकारी होते हैं।
नॉमिनी को कभी भी बदलने की सुविधा
बीमा कंपनिया या बैंक नॉमिनी को जब चाहे बदलने की सुविधा देते हैं। अगर बीमाधारक चाहे तो वह नॉमिनी को कभी भी बदल सकता है और पिछले नॉमनी को बाहर कर सकता है। बीमाधारक पॉलिसी खरीदने वक्त या बीच में या रिन्यूल के समय नॉमिनी को बदल सकता है। कई बार ऐसा देखा गया है कि कुछ लोग अपने पैसे को दो लोगों में बांटना चाहते हैं, जैसे पत्नी और बच्चा या फिर पत्नी और भाई या मां। ऐसे में आप एक से ज्यादा पॉलिसी खरीदकर अलग-अगल पॉलिसी के लिए अलग नॉमिनी बना सकते हैं।