पाकिस्तान के लाहौर शहर की स्थापना करने वाले प्रख्यात हिंदू समाजसेवी और आर्किटेक्ट 'सर गंगाराम' की लाहौर स्थित समाधि स्थल आम लोगों के लिए आज से खोल दी गई। समाधि स्थल करीब एक दशक से बंद था, क्योंकि, कुछ स्थानीय लोगों ने इस पर जबरन कब्जा कर लिया था। कई सालों तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया और समाधि स्थल का स्ट्रक्चर खस्ताहाल हो गया था।
करीब 5 साल पहले लाहौर की इवैक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) ने कानूनी लड़ाई लड़कर इस जगह को कब्जे से मुक्त करवाकर इसका फिर से निर्माण करवाया। जीर्णोद्धार पूरा होने के बाद इसे आज से आम लोगों के लिए खोल दिया गया है। ईटीपीबी यहां एक आर्ट गैलरी भी बनवा रही है, जिससे कि गंगाराम द्वारा डिजाइन की गईं लाहौर की ऐतिहासिक इमारतों और उनके इतिहास से लोग रू-ब-रू हो सकें। गंगाराम की समाधि लाहौर में टक्साली गेट के पास स्थित है।
पंजाब प्रांत के गांव मंगलनवाला में
सर गंगाराम अग्रवाल का जन्म 1851 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गांव मंगलनवाला में हुआ था। उनके पिता दौलत राम मंगलनवाला में ही जूनियर सब इंस्पेक्टर थे। गंगाराम ने अमृतसर के शासकीय हाईस्कूल से मैट्रिक पास कर 1869 में लाहौर के सरकारी कॉलेज में एडमिशन लिया था। वर्ष 1871 में उन्होंने रुड़की में थॉमसन सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्रवृत्ति ली। इसके बाद 1873 में उन्हें सहायक अभियंता नियुक्त किया गया और शाही असेंबली के निर्माण में मदद के लिए दिल्ली भी बुलाया गया। सेवानिवृत्ति के बाद गंगाराम ब्रितानी राजदरबार में नाइटहुड समेत कई सम्मानों से भी नवाजे गए।
लाहौर की ऐतिहासिक इमारतें गंगाराम की ही देन हैं
लाहौर उच्च न्यायालय, लाहौर म्यूजियम, हेली कॉलेज ऑफ कॉमर्स, एटचिसन कॉलेज, मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स जैसी कई नामी इमारतों की डिजाइन उन्होंने ही तैयार की थीं। इतना ही नहीं, लाहौर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल आज जिस जमीन पर बना है, वह गंगाराम की है। गंगाराम ने अस्पताल के लिए यह जमीन दान में दी थी।
बिजली संयत्र की स्थापना भी की
उनके कार्यों में मोती बाग पैलेस, सचिवालय भवन, विक्टोरिया गर्ल्स स्कूल, लॉ कोर्ट और दर्जनों बड़े पुलिस स्टेशन भी शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने लाहौर में एक बिजली संयत्र की स्थापना भी की थी, जो आज भी काम कर रहा है। लंदन में वर्ष 1927 में 76 वर्ष की उम्र में सर गंगाराम का निधन हुआ।