इंदौर के बाणगंगा स्थित शेल्टर होम से 10 बांग्लादेशी युवतियां फरार हो गई हैं। युवतियां बुधवार रात साड़ी की रस्सी बनाकर छत से उतरीं और भाग निकलीं। बाहर उनकी निगरानी के लिए 2 थानों की पुलिस 24 घंटे पहरा दे रही थी, लेकिन उन्हें कुछ भी पता नहीं चला। युवतियों को नौकरी के नाम पर भारत में लाकर उन्हें नशे की गिरफ्त में झोंककर उनसे जिस्मफरोशी कराया जा रहा था।

अक्टूबर 2020 आखिरी सप्ताह में विजयनगर पुलिस ने महालक्ष्मी नगर के एक होटल में बंधक बनाकर रखी गईं 16 लड़कियों को छुड़ाया था। इसमें से 10 युवतियां बांग्लादेश की थीं। 6 अन्य राज्यों की थीं। इन्हें बाणगंगा स्थित वृद्धाश्रम शेल्टर होम में रखा गया था।

जहां पुलिस का मानना है कि युवतियां साड़ी की रस्सी बना कर वृद्ध आश्रम से भागी हैं। वहीं आश्रम के अधीक्षक का कहना है कि कोई परिचित ID दिखाकर युवतियों को ले गया है। मामले में पुलिस को मिलीभगत की आशंका है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामला इतना संदिग्ध था तो आश्रम ने थाने को जानकारी क्यों नहीं दी? मामले की जांच की जा रही है

ऐसे हुआ था खुलासा

शहर में MD ड्रग्स की सप्लाई करने वाले बड़े रैकेट का खुलासा विजयनगर पुलिस ने किया था। इसमें 16 युवतियों सहित 7 युवक गिरफ्तार किए गए थे। 10 बांग्लादेशी लड़कियां देह व्यापार के लिए लाने वाले गिरोह के सरगना सागर जैन उर्फ सेंडो से जुड़ी थीं। लड़कियों का उपयोग नशे का कारोबार शहर में फैलाने के लिए किया जा रहा था। शहर के कई पब एंड बार, पूल क्लब, कैफे बार और जिम्नेजियम में इन पैडलर्स ने जाल फैलाकर कई युवाओं को खतरनाक MD ड्रग्स का आदी बना दिया था ।

बांग्लादेश से अगवा कर इंदौर लाई गईं युवतियों को MD ड्रग्स उपलब्ध करवाने वाले सेक्स रैकेट के कुख्यात सरगना सैंडो उर्फ सागर जैन को विजय नगर पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था। बदमाश इंदौर में सबसे बड़ा सेक्स स्कैंडल संचालित करता था, जब बांग्लादेशी लड़कियों को रिहा करवाया गया, तो उसका नाम सामने आया।

रशियन लड़कियों के बाद बांग्लादेश का किया था रुख

सागर इस धंधे में पिछले 7-8 साल से लिप्त है। वह पहले लड़कियों की सप्लाई करता था, जिसके एवज में उसे कमीशन मिलता था। इंदौर में रशियन लड़कियों की मांग ज्यादा होने से शुरुआत में उसका फोकस रशियन लड़कियों पर ही रहता था। साथ ही, उनके द्वारा ज्यादा रुपए मांगने पर उसे कम पैसे ही मिलते थे। ऐसे में उसने अन्य एजेंटों के जरिए बांग्लादेश से लड़कियों को लाने का काम शुरू किया।

इस दौरान ही ड्रग्स के कारोबार में लिप्त लोगों से उसका परिचय हुआ था। यहीं से सागर भी ड्रग्स के कारोबार में उतर गया। सागर सबसे महंगे एमडी और LSD ड्रग्स ही सप्लाई करता था। पता चला है कि पुलिस जब भी सागर को पकड़ने उसके घर गई, परिवार वालों ने सपोर्ट नहीं किया। यहां तक कि उन्होंने तो पुलिस को चैलेंज कर दिया था कि उसे पकड़कर दिखाओ। इसके बाद पुलिस दिल्ली और मुंबई में 7 दिन रही और आखिरकार उसे पकड़कर लाई।

आंखों से पहचानते थे, लड़की बांग्लादेशी है या नहीं

बांग्लादेशी लड़कियों को यहां तक लाने के पीछे की कहानी जो सामने आई, उसके अनुसार बांग्लादेश के एजेंट गरीब परिवार की लड़कियों को काम दिलाने के बहाने अवैध रूप से बाॅर्डर पार करवाकर कोलकाता तक लाते थे। यहां इन्हें एक सप्ताह से ज्यादा समय तक रखकर उनकी बॉडी लैंग्वेज सहित सभी प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती थी। ट्रेंड होने पर लड़कियों को मुंबई तक पहुंचा दिया जाता था।

यहां इन्हें फिर से तौर तरीके सिखाने के बाद इनके कुछ फोटो ले लिए जाते थे। इन फोटो को मुंबई का एजेंट मेट्रो सिटी में मौजूद अन्य एजेंटों को भेजता था। इसके बाद शहरों से आई डिमांड के अनुसार लड़कियों को उन सिटी तक पहुंचा दिया जाता था। लड़कियों को मुंबई से रवाना करने के पहले उनके दस्तावेज रखवा लिए जाते थे। लड़कियां बांग्लादेश की ही हैं, इसकी पहचान एजेंट आंखों के जरिए करते थे। ये सूरत के स्पा सेंटरों के अलावा इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, पुणे, मुंबई, बेंगलुरु में भी युवतियां सप्लाई करते थे।

तार के नीचे से बॉर्डर पार करवाकर लाते थे इंडिया में

बांग्लादेश की युवतियों के अपहरण और मानव तस्करी कांड में चौंकाने वाला खुलासा किया था। विजयनगर पुलिस को एक युवती ने 11 साल पहले हुई आप बीती बताई थी। युवती ने पुलिस को बताया कि 2009 में 15 साल की थी। मां के गुजर जाने के बाद पढ़ाई का तनाव था। फीस नहीं भरने पर एक पेड़ के नीचे बैठकर रो रही थी, तभी एक युवती और युवक आए। बोले भारत काफी अच्छा है। वहां पढ़ाई भी होगी और पैसे भी अच्छे मिलेंगे। वह झांसे में आ गई। फिर इंडिया बॉर्डर तक पहुंचे। वहां तार के नीचे से निकाला। रातभर पैदल चलना पड़ा। सुबह मुर्शिदाबाद पहुंचे। वहां एक आदमी ने अपने घर में पनाह दी। यहां से युवक-युवती चले गए।

छोटे कपड़े पहनाते, हल्दी वाला उबटन भी लगाते थे

युवती के अनुसार फिर उसे कोलकाता लाया गया। वहां 15 दिन तक छोटे कपड़े पहनने का दबाब बनाया। पीटा और भूखा भी रखा गया। यहां कई बार हल्दी की उबटन लगाई। एक महीने बाद मुंबई ले गए। वहां एक लाख रुपए में किसी एजेंट को बेच दिया। उस एजेंट ने शोषण करवाकर लाखों रुपए कमाए। फिर मेरा सौदा कर दिया। इंदौर के 7-8 दलालों ने उसे लाखों रुपए देकर खरीदा। वे इंदौर लेकर आए। उसका दिन में कई बार शोषण किया गया। कई ग्राहकों को रोजाना लाते थे। कई बार पीटा गया। एक दिन उसे दलाल कहीं ले जा रहा था, तभी एक युवक ने उसे रोते देखा। उसने पूछा, तो मैंने आपबीती बताई। आखिरकार उस युवक ने दलाल से छुड़वाया।

बात नहीं मानने पर सिगरेट से जलाते और बेल्ट से पीटते थे

पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ था कि बांग्लादेश से बगैर पासपोर्ट, वीजा के लाने के बाद युवतियों को बंधक बनाकर गुलामों की तरह रखा जाता था। बात नहीं मानने पर सिगरेट से जलाया जाता और बेल्ट से पीटा जाता था। यह खुलासा आरोपियों से मुक्त कराई गईं 17 लड़कियों ने पुलिस के सामने किया है।

बांग्लादेश, मुर्शिदाबाद, मुंबई होते हुए इंदौर लाई जातीं

युवतियों को दलाल बांग्लादेश, मुर्शिदाबाद, मुंबई होते हुए इंदौर लाते थे। टूटी-फूटी हिंदी बोलने वाली बांग्लादेशी युवतियों ने बताया था कि बांग्लादेश के एजेंट भारत के एजेंटों की डिमांड पर ऐसे घरों की लड़कियों की तलाश करते हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर रहती है। कई तो तलाकशुदा व विधवा को भी नौकरी दिलाने के बहाने परिवार वालों की सहमति पर लाते हैं।

परिवार को बताते स्टील, खिलौना फैक्टरी या अन्य उद्योगों में काम करती हैं

युवतियों ने बताया कि उन्हें अलग-अलग शहरों में बंधक बनाकर रखा जाता था। इनके परिवार वालों को यह बताया जाता था कि वे यहां स्टील फैक्टरी, खिलौना फैक्टरी या अन्य उद्योगों में काम करती हैं। इन्हें 5 से 10 हजार वेतन मिलता है, जो एप के जरिए उन्हीं के सामने परिजन के खातों में डलवा दिया जाता था। सिर्फ रहने, खाने व कॉस्मेटिक के खर्च का पैसा दिया जाता था। एक युवती ने बताया कि उसे एजेंटों के जरिए एक नहीं, चार बार बेचा गया है। एजेंटों ने इनके लिए कोड वर्ड बना रखे थे।