श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर की पार्टी पीडीपी ने राज्य में परिसीमन प्रक्रिया का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है। पीडीपी प्रमुख और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने एक बयान में कहा कि परिसीमन आयोग के पास “संवैधानिक और क़ानूनी वैधानिकता” नहीं है, साथ ही ये जम्मू-कश्मीर के लोगों को राजनीतिक रूप से अशक्त बनाने की कोशिश है। पीडीपी महासचिव गुलाम नबी लोन हांजुरा ने परिसीमन आयोग की अध्यक्षा और पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज रंजना प्रकाश देसाई को पत्र लिखकर पार्टी के इस फैसले की जानकारी दी और अवगत कराया है कि पार्टी इस फैसले का हिस्सा नहीं बनेगी। दो पेज लंबे इस पत्र में जानकारी देते हुए बताया गया है कि पीडीपी परिसीमन प्रक्रिया में भाग नहीं लेगी। साथ ही ऐसी किसी भी प्रक्रिया में शामिल नहीं होगी जो लोगों के हित में न हो। जिसके परिणाम, आम तौर पर पूर्व–निर्धारित हैं, जोकि कश्मीर के लोगों की हितों को और नुकसान पहुंचाना है। पीडीपी ने बीजेपी का नाम लिए बिना है आरोप लगाया कि एक पार्टी अपने निजी सपने को पूरा करना चाहती है। इस तरह की आशंकाएं हैं कि परिसीमन आयोग की इस प्रक्रिया का मकसद जम्मू-कश्मीर में एक निश्चित पार्टी के राजनीतिक मंसूबे को पूरा करना है और बाकी चीजों की तरह लोगों की भावनाओं को सबसे कमतर रखना है। इस पत्र में दो हफ्ते पहले ही सर्वदलिए बैठक में हुई चर्चा का भी जिक्र किया गया है। पत्र में लिखा है कि प्रधानमंत्री के साथ वार्ता के दौरान मुफ़्ती ने हालातों को सामान्य करने को लेकर कई सुझाव दिए थे। लेकिन इसके बावजूद भी अब तक लोगों की ज़िदंगी की समस्याओं को कम करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।
पीडीपी ने जम्मू-कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया का हिस्सा बनने से इनकार किया
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