लखनऊ. आगामी विधानसभा चुनाव (UP assembly Election) से पहले सत्ता का सेमीफइनल कहे जा रहे जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव (Zila Panchayat Adhyaksh Chunav) में बीजेपी (BJP) ने रिकॉर्ड जीत दर्ज कर मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है. बीजेपी ने रिकॉर्ड जीत दर्ज करते हुए 75 में से 67 सीटों पर कब्ज़ा जमाया. इससे पहले समाजवादी पार्टी ने 2016 के चुनाव में 63 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी ने पूरब से लेकर पश्चिम तक जीत का परचम लहराया. वहींं समाजवादी पार्टी पांच, रालोद एक व दो सीटें अन्य के खातों में गई. जानकारों के मुताबिक यह जीत बीजेपी के लिए इसलिए भी बड़ी है क्योंकि जिला पंचायत सदस्य चुनाव में उसे समाजवादी पार्टी से भी कम सीटें मिली थीं. बावजूद इसके पार्टी ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की.
जानकार बताते हैं कि जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से होता है और आम जनता की इसमें सीधी भागीदारी नहीं होती. बावजूद इसके यह जीत बीजेपी को विधानसभा चुनाव से पहले मनोवैज्ञानिक लाभ देने वाला हैं. वहीं समाजवादी पार्टी के लिए यह एक बड़ा झटका है. क्योंकि सदस्य चुनाव में सर्वाधिक सीट का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी इटावा और आजमगढ़ को छोड़कर अपने कई गढ़ में हार का सामना करना पड़ा. औरैया, मैनपुरी, कासगंज, फिरोजाबाद और फर्रुखाबाद में उसे हार मिली. दरअसल जिला पंचायत सदस्य की भूमिका बूथ लेवल पर अहम होती है. जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में समाजवादी पार्टी के कई सदस्य बीजेपी के साथ चले गए. ऐसे में विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को बूथ मैनेजमेंट में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
कांग्रेस-बसपा का नहीं खुला खाता
उधर राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस और बसपा का चुनाव में खाता भी नहीं खुला. एक भी सीट न जीतने वाली कांग्रेस और बसपा की रणनीति भविष्य में उसकी मुश्किलें और बढ़ा सकती है. कांग्रेस की बात करें तो वह कहीं मैदान में भी नजर नहीं आई. कांग्रेस का कोई बड़ा नेता जीत के लिए कोशिश भी करता नजर नहीं आया. अमेठी, रायबरेली के साथ ही कोंग्रे प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के कुशीनगर और विधानमंडल की नेता आराधना मिश्रा के क्षेत्र प्रतापगढ़ में भी कांग्रेस कहीं नजर नहीं आई. अब अगर बसपा की बात करें तो ऐन वक्त पर चुनाव से पीछे हटने का फैसला उल्टा पड़ सकता है.
पूरब से पश्चिम तक भगवा परचम
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बीजेपी ने पूरब से लेकर पश्चिम तक जीत का परचम लहराया. अवध क्षेत्र में पार्टी ने 13 सीटें जीतीं. काशी क्षेत्र की 12 में से 10 जिलों में जीत हुई. गोरखपुर क्षेत्र में 10 में से 7 सीट तो पश्चिम में 14 में से 13 सीटों पर जीत हासिल हुई. इसी तरह ब्रज क्षेत्र में 12 में से 11 और कानपुर-बुंदेलखंड की 14 में से 13 सीटों पर कब्जा जमाया.
किसान आंदोलन का असर हवा हवाई
बीजेपी की यह जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि चुनाव से पहले पश्चिम यूपी में किसान आंदोलन के असर की बात हो रही थी. खुद राकेश टिकैत ने इसका दावा किया था. लेकिन ये दावे हवा हवाई साबित हुए. बागपत में रालोद और एटा में सपा की जीत हुई. बाकी सभी सीटों पर बीजेपी का कब्ज़ा हुआ.