नई दिल्ली : काले धन के खाताधारकों के नाम सार्वजनिक करने के दबाव के बीच जेटली ने ऐसा करने से फिर मना किया है। उन्होंने कहा कि अनधिकृत तरीकों से नामों का खुलासा करने पर जांच में गड़बड़ी आ सकती है और इसका फायदा दोषियों को मिल सकता है।
जेटली ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि नाम बताना जांच और आर्थिक, दोनों लिहाज से जोखिम भरा है। इससे जांच गड़बड़ा सकती है। इससे विदहोल्डिंग टैक्स के रूप में देश को पाबंदी का सामना भी करना पड़ सकता है।
जेटली ने ऐसे लोगों पर सवाल खड़ा किया, जो कर संधियों की परवाह किए बगैर नामों को बताने की मांग कर रहे हैं। वित्तमंत्री ने लिखा कि कांग्रेस पार्टी का रवैया समझ में आता है। वह नहीं चाहती कि एसआईटी के पास पहुंचे नामों के सिलसिले में सबूत मिलें। क्या दूसरे भी नासमझ हैं, जो केवल वाहवाही लूटना चाहते हैं या वे किसी और के लिए झंडा बुलंद कर रहे हैं। मंत्री ने विश्वास जताया कि मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित एसआईटी काले धन की सच्चाई उजागर करने में कामयाब होगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने पास उपलब्ध सारे नाम 27 जून 2014 को ही एसआईटी को सौंप दिए थे। उन्होंने लिखा है कि सरकार सच्चाई की खोज में एसआईटी का पूरी तरह से और बेलाग समर्थन करेगी।
बैंकों की मदद लेगा केंद्र
टैक्स बचाने में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले ट्रस्ट्स, स्पेशल पर्पज वीइकल्स और दूसरे कॉरपोरट स्ट्रक्चर्स के बहाने छिपाई गई संपत्ति से परदा हटाने में बैंकों की मदद लेने जा रही है। मामले की जानकारी रखने वाले फाइनेंस मिनिस्ट्री के एक ऑफिशियल ने बताया कि बैंकों से कहा जाएगा कि वे सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज की ओर से बनाए जा रहे नए नियमों के अनुसार पता लगाएं कि ऐसे खाते किन लोगों के हैं। उन्होंने बताया कि नियम बनाए जा रहे हैं। एक महीने में इन्हें सार्वजनिक किए जाने की उम्मीद है। नए नियम अगले फाइनेंशियल ईयर से लागू होंगे। इन खातों के ब्यौरे मिलने से भारत को यूएस फॉरेन एकाउंट टैक्स कंप्लायंस एक्ट (एफएटीसीए) के तहत सूचना के आदान-प्रदान में भी मदद मिलेगी। वहीं, सितंबर 2015 से नए ग्लोबल प्रोटोकॉल के पालन में सहूलियत होगी।
'एसआईटी को जानकारी दें'
जिस किसी के पास कालेधन पर विशेष और साफ सूचना हो, तो वह उसे एसआईटी के साथ साझा कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एम.बी. शाह की अध्यक्षता वाली एसआईटी जल्द ही अपना एक संवाद चैनल खोलेगी, जिसके जरिए लोग सूचना दे सकते हैं। एसआईटी ने कहा कि इस कदम का मकसद अवैध कमाई और सरकारी कर की चोरी के सभी मामलों की पहचान करना और उन पर मुकदमा चलाना है। एसआईटी के उपाध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अरिजित पसायत न्यायमूर्ति पसायत ने कहा कि हम जल्द ही इस सिलसिले में एक सार्वजनिक विज्ञापन जारी करेंगे। लोग इंटरनेट के माध्यम से अपनी बात लिखकर उसे समिति की आधिकारिक ई-मेल आईडी पर भेज सकते हैं या उसे पैनल के सचिवालय को डाक के जरिए भेज सकते हैं।
हितों के लिए स्विस बैंक जुटे
कालाधन पर भारत की जांच के जोर पकड़ने के साथ स्विट्जरलैंड के बैंक अपने हितों की रक्षा के लिए हाथ पैर मार रहे हैं। इस सिलसिले में कुछ बैंकों ने तो संभावित कार्रवाई और कानूनी लागत खर्च की आशंकाओं के मद्देनजर वित्तीय प्रावधान करने पर विचार शुरू कर दिया है। ये बैंक स्विट्जरलैंड की सरकार के साथ लॉबिंग कर रहे हैं कि वह भारत के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान के साथ ऐसे उपाय भी करें, जिससे मुकदमे आदि की प्रक्रिया में बैंकों के हितों की रक्षा हो सके।
सीबीआई चाहती है पोस्टिंग
सीबीआई चाहती है कि ब्लैक मनी के जुड़े केसों का गहराई से पता लगाने के लिए कुछ अधिकारियों की पोस्टिंग विदेशों में की जाए। डायरेक्टर रंजीत सिन्हा ने कहा कि हमने एसआईटी के पास एक नोट जमा किया है, जिसमें जांच से संबंधित कदम उठाने वाली बातों का जिक्र है।
नामों के अनाधिकृत खुलासे से गड़बड़ा सकती है काले धन की जांच : जेटली
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