बिलासपुर । जिले के कोटा , जरहाभाठा आदि ग्रामों के रहने वाले विरेन्द्र सिंह कुरे , महेन्द्र कुमार खाण्डे , केशव प्रसाद खाण्डेकर , जगजीवनराम उमेंदराम यादव , रहस प्रसाद डहरे , देवकुमार कैवत्र्य मनीष कुमार जोगी चन्द्रकान्त यादव भगवानदास पात्रे ने अपने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका पेश किये थे कि वे दैनिक स् मजदूर / रसोइया के पद् पर 12,13 वर्षों से अनवरत् कार्यरत है । जिन्हें मार्च 2020 से कोविड 19 के दौरान हुये लाकडाउन से न तो वेतन दिया गया है और न ही काम पर रखा गया है , जबकि शासन के द्वारा आकस्मिक निधि पद पर नियुक्ति हेतु पूर्व से कार्यरत ऐसे चतुर्थवर्ग आदि कामगारों की सूची मैंगवाई थी जिसमें भी इनका नाम सहायक आयुक्त आदिवासी विकास बिलासपुर के द्वारा नही भेजा गया उल्टे नये लोगों को मनमाने भर्ती कर उनका नाम भेज दिया गया है और उनको अब दूरभावना पूर्वक काम पर भी नही रखा जा रहा है अब जबकि उनकी उम्र भी अधिक हो गई है और उन्हें अन्यत्र काम भी नही मिलेगा ऐसी विपरीत परिस्थिति में उन्हें सेवा से निकाल दिये जाने एवं उनके स्थान पर अन्य को सेवा में रखने से उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है जिससे त्रस्त होकर मामला हाईकोर्ट में पेश किया था जिसपर सुनवाई करते हुये हाईकोर्ट के जज मा . पी.सेम कोशी ने छ.ग.आदिवासी विकास विभाग के सचिव सहित , आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग एवं सहायक आयुक्त आदिवासी विकास बिलासपुर को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्तागण जो कि पूर्व में लगातार कई वर्षों से विभाग में दैनिक कामगार के रूप में अपनी सेवा दिये है उन्हें विभाग में रिक्त पदों पर भर्ती में प्राथमिकता देते हुये उनके अनुभव का लाभ दिया जाकर उन्हें नियुक्ति देने एवं उनके बकाया वेतन का भुगतान करने संबंधी निर्देश दिया है ।