जयपुर । राजस्थान गहलोत सरकार और भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और मुख्य सचेतक महेश जोशी का पोस्टर वॉर अभी थमा ही नहीं है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां द्वारा स्वयं की उपेक्षा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा किए जाने को लेकर लिखे गए 22 साल पहले के लैटर का खुलासा होने से यह सत्यापित हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी में दो गुट एक संगठन अध्यक्ष और दूसरा पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के बीच राजनैतिक मनभेद और मतभेद दोनो मौजूद है।
हालांकि भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने इस लैटर बम के खुलासे पर राजनैतिक जवाब में इसे अजब सियासत की गजब कहानी बताकर अपने अनाम विरोधी गुट पर निशान सााधा है। दूसरी तरफ हाल में अनुशासनात्मक कार्रवाई के नोटिस के कारण पहले से भडक़े बैठे पूर्व मंत्री रोहिताश्व कुमार शर्मा को मौका मिल गया। उन्होंने भी वीडियो जारी कर कहा कि जो खुद अनुशासित नहीं वो क्या अनुशासन का पाठ पढ़ाएंगे। शर्मा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समर्थक हैं और माना जा रहा है कि ये उनके खेमे से ही लेटर बम वार किया गया है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने चुनावों में टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर 1999 में भारतीय जनता युवा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था और इस्तीफे के रूप में तीन पृष्ठों का पत्र लिखा था तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष गुलाब चंद कटारिया को। पूनियां ने 22 साल पहले लिखे पत्र को स्वीकारते हुए विरोधियों को उन्ही की भाषा मे उत्तर देते हुए कहा हैं कि पार्टी के मंच पर कही गई बात के बाद ही नेतृत्व ने मुझे पार्टी में महत्वपूर्ण दायित्व दिए जिनका मैंने निष्ठापूर्वक निर्वहन किया। सतीश पूनिया की प्रतिक्रिया में ही लेटर बम विवाद की झलक मिल जाती है।  पूनिया ने इसे अजब सियासत की गजब कहानी बताकर विरोधियों को निशाने पर लिया है। दूसरी तरफ आम कार्यकर्ता का प्रतिनिधि बताकर बड़े नेताओं की सियासी चालों की तरफ इशारा किया है। बीजेपी में इस लेटर बम की गूंज कई दिन तक सुनाई देना तय माना जा रहा है। पूनियां ने साधारण कार्यकर्ता बताकर पार्टी के कैडर की सहानुभूति जीतने का प्रयास किया है।