तो क्या, शाहजहांपुर के तिलहर क्षेत्र की रहने वाली और दिल्ली एयरपोर्ट पर नौकरी करने वाली रिटायर्ड फौजी की बेटी रानी का धर्मांतरण धोखे से नहीं हुआ था? क्या वास्तव में उसने सोच समझ कर ही इस्लाम कबूल किया था और यह बात उसके माता-पिता को पता थी? दिल्ली हाईकोर्ट में रानी की तरफ से दायर की गई याचिका के क्या यही मायने निकाले जाएं कि उसने सिर्फ दुबई में करियर बनाने के लिए इस्लाम धर्म अपनाया! यूपी एटीएस द्वारा धर्मांतरण के मामले में गिरफ्तार किए गए उमर गौतम और काजी जहांगीर आलम के यहां से कुछ शपथ पत्र बरामद किए गए थे। इनमें से एक तिलहर क्षेत्र के निवासी रिटायर्ड फौजी की बेटी के नाम का भी था जिसने इस्लाम कबूल कर अपना नाम आइशा अल्वी रख लिया था। एटीएस के खुलासे के बाद पहले तो ऐसा लगा था कि रानी जाल में फंस गई, लेकिन मंगलवार को रानी ने जिस तरह से अदालत में जाकर सुरक्षा मांगी है और पुलिस पर जिस तरह के आरोप लगाए हैं, उससे कई सवाल खड़ हो गए हैं। अच्छे खाते पीते घर की युवती, जिसकी अभी दो छोटी बहनें भी हैं, वह दो ढाई लाख रुपये की नौकरी दुबई में पाने के लिए अपना धर्म बदल सकती है? जबकि पिता कह चुके हैं उनकी बेटी को किसी ने बहका दिया। 19 मई को ही उन्होंने काफी पैसा खर्च कर रानी की शादी पुणे में कार्यरत इंजीनियर से की थी। 

मामला खुलने के बाद रानी के पिता ने कहा था कि वह रानी की हिन्दू धर्म में वापसी कराएंगे। लेकिन रानी के अदालत जाने से लगता है कि वह अब हिन्दू धर्म में वापसी करने की इच्छुक नहीं है। दूसरी ओर जब रानी के माता-पिता से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई तो फोन नाट रिचेबल आए। 

दुबई एयरपोर्ट पर नौकरी के लिए जाना चाहती थी रानी
तिलहर के एक गांव निवासी रिटायर फौजी के तीन बेटियों में सबसे बड़ी रानी ने दिल्ली में एयर होस्टेज का कोर्स किया। रानी एयरहोस्टेज तो नहीं बन सकी, दिल्ली एयरपोर्ट पर टिकट रूम में उसे नौकरी मिल गई। रानी के पुराने बयान पर यकीन करें तो उसके एक सहकर्मी ने बताया कि वह इस्लाम कबूल कर दुबई में नौकरी करने जाएगी तो उसे महीने में ढाई से तीन लाख रुपये सैलरी मिलेगी। अन्य सुविधाएं अलग से मिलेंगी। रानी के माता पिता ने उसकी शादी मुरादाबाद निवासी एक इंजीनियर से 19 मई को की। हिन्दू रीति-रिवाज से विवाह हुआ। रानी विदा होकर अपनी ससुराल चली गई। वहां दो-तीन रहने के बाद रानी दिल्ली चली

गई। 19 मई को विवाह, 27 मई को इस्लाम कबूल कर लिया
19 मई को शादी के बाद ससुराल से ही दिल्ली जाकर रानी ने 27 मई को इस्लामिक सेंटर में काजी जहांगीर आलम के जरिए इस्लाम कबूल कर खुद का नाम आइशा अल्वी रख लिया। धर्मांतरण के बाद प्रमाण पत्र लेकर रानी अपने पति के पास मुरादाबाद लौट गई। करीब 24 दिन बाद 19 जून को रानी को उसका पति मायके तिलहर छोड़ गया। इसी बीच यूपी एटीएस ने धर्मांतरण मामले का खुलासा करते हुए दो मौलानाओं को गिरफ्तार किया, इसमें एक वह मौलाना जहांगीर आलम था, जिसने रानी का भी धर्म परिवर्तन कराया था। उससे मिली जानकारी को एटीएस ने एकत्रित किया।  मौलाना द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर लोकल पुलिस 24 जून को रानी के घर पहुंची। इंटेलीजेंस ने भी पूछताछ की। फिर रिपोर्ट बना कर उच्चाधिकारियों को भेज दी गई।