नई दिल्ली । पहले कच्चे माल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी और अब पेट्रोल-डीजल के आसमान छूते दाम ने एमएसएमई सेक्टर की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। देश के कई शहरों में डीजल 100 रुपये के पार चला गया है। यानी पिछले 6 महीने में प्रति लीटर 15 रुपये के करीब बढ़ोतरी। इसने इंडस्ट्री की फ्रेट इनपुट कॉस्ट में 30 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी की है। मौजूदा हालात में डिमांड की कमी से जूझ रही इंडस्ट्री ने मोदी सरकार से तुरंत राहत की मांग की है। पेट्रोल के बाद डीजल भी सौ के आंकड़े को पार कर गया है। तेल की बढ़ती कीमतों से आम ग्राहकों के साथ इंडस्ट्री भी त्राहिमाम कर रही है। खासकर छोटे और मझौले कारोबारी लगातार बढ़ते इनपुट कॉस्ट से मुश्किलों में घिर गए हैं।
कोरोबारियों की माने तब पिछले 4 महीने में कई कैटेगरी के कच्चे माल के दाम दोगुने तक बढ़ गए हैं। स्टील, कॉपर, एल्यूमिनियम के दाम 40 प्रतिशत से ज्यादा बढ़े हैं। वहीं पीवीसी पाइप जैसे उत्पाद 50 प्रतिशत से ज्यादा महंगे हुए हैं। इतना ही नहीं कपड़ों से जुड़े कच्चे माल मसलन यार्न और कॉटन फैबरिक की कीमतें 60 प्रतिशत तक बढ़ी हैं। इसके बाद मंहगे हो रहे डीजल ने इनपुट कॉस्ट में अच्छी-खासी बढ़ोतरी की है।बाजार जानकारों का कहना है कि डोमेस्टिक डिमांड हो या एक्सपोर्ट तेल की बढ़ती कीमतों का असर सभी जगह दिख रहा है,इनपुट कॉस्ट लगातार बढ रहा है, छोटे कारोबारी ज्यादा परेशान हैं क्योंकि डिमांड नहीं होने की वजह से वहां माल को भेज नहीं कर पा रहे हैं। सरकार तुरंत राहत देने के अलावा पेट्रोल डीजल को जीएसटी में शामिल करे।
देश के 8 शहरों में ये 100 के पार जबकि लगभग सभी शहरों में 90 के पार पहुंच गया है।इसकारण कच्चे माल की महंगाई से जूझ रही इंडस्ट्री की फ्रेट इनपुट कॉस्ट 30 प्रतिशत तक बढ़ी है, डिमांड कम होने से वहां इस कंज्युमर को पास ऑन नही कर पा रहे हैं। इंडस्ट्री कह रही है किसरकार कॉमर्शियल ट्रांसपोर्ट के लिए डीजल को कुछ समय के लिए सब्सिडाइज्ड कर दे। साथ ही उन एमएसएमई को भी इमरजेंसी क्रेडिट फैसेलिटी का फायदा मिले जिन्हें अभी तक कही से क्रेडिट नहीं मिला है, जिनकी संख्या 60 प्रतिशत के करीब है।