जयपुर। जयपुर ग्रेटर नगर निगम विवाद में हाई कोर्ट ने आज निलमबित मेयर डा सौम्या गुर्जर की याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस पंकज भंडारी की खंडपीठ ने याचिका को खारिज किया। फैसला आने के बाद सौम्या गुर्जर ने कहा कि अभी तक विधिक अधिकारों का उपयोग किया है। आगे भी इनका उपयोग करुंगी। सौम्या गुर्जर ने कहा कि हाइकोर्ट का फैसला देखूंगी। फिर सुप्रीम कोर्ट जाने पर कोई फैसला लिया जाएगा। बीते सात माह में अन्याय के खिलाफ लडाई लड़ी है। आगे भी लड़ाई लड़ती रहूंगी।
  डॉ सौम्या की याचिका खारिज होने के बाद गहलोत सरकार के मुख्य सचेतक डॉ महेश जोशी ने कहा सरकार ने पूरी तरह से न्याय संगत और तर्कसंगत फैसला किया था। यह फैसला भी इस बात का परिचायक है। राजस्थान में किसी भी तरह के अनैतिक कार्य और अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं होगी। जोशी बोले जो जैसा करेगा वो वैसा फल भुगतेगा। जोशी ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुये कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का ऐसा इतिहास रहा है कि वे अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करते रहे हैं लेकिन प्रदेश सरकार में ऐसा कभी बर्दाश्त नहीं होगा। इस फैसले से प्रदेशभर में एक संदेश जाएगा। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि हाई कोर्ट के मामले का विधि विशेषज्ञों से परीक्षण कराएंगे। उसके बाद मामले में आगे कदम उठाएंगे। उल्लेखनीय है कि गहलोत सरकार पहले ही सौम्या की जगह वसुंधराराजे के नजदीकी बीजेपी नेता शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर बना चुकी है। सौम्या पर आरोप है कि उन्होंने निगम के कमिश्नर को अपने चैंबर में तीन पार्षदों से पिटवाया। इसकी शिकायत पर गहलोत सरकार ने सौम्या को निलंबित कर मेयर पद से हटा दिया था। जयपुर ग्रेटर नगर निगम में बीजेपी का बोर्ड है और मेयर भी बीजेपी की है। अगर कोर्ट सौम्या का निलंबन रद्द कर देता था बीजेपी को तय करना पड़ता कि उसकी दो मेयर में से कौनसी मेयर रहेगी और कौनसी हटेगी।