न्यूयॉर्क: दुनिया की सबसे घातक औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक भोपाल गैस कांड मामले में भारत में वांछित यूनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख वॉरेन एंडरसन का अमेरिका के फ्लोरिडा में निधन हो गया। वर्ष 1984 में हुई भोपाल त्रासदी में तीन हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। एंडरसन 92 साल के थे।
एंडरसन का निधन फ्लोरिडा स्थित वेरो बीच के एक नर्सिंग होम में 29 सितंबर को ही हो गया था लेकिन उनके परिवार ने उनके निधन की घोषणा नहीं की थी। इसकी पुष्टि पब्लिक रिकॉडरें के जरिए हुई। ब्रूकलेन के बढ़ई के बेटे एंडरसन ने यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन के शीर्ष पद तक का सफर तय किया था। भारत सरकार ने एंडरसन के प्रत्यर्पण के लिए कई अनुरोध किए थे और आधिकारिक तौर पर उन्हें भगौड़ा भी घोषित किया था। एक न्यायाधीश ने भी उन्हें भगौड़ा कहा था।
एंडरसन दुर्घटना के चार दिन बात भोपाल पहुंचे थे और तत्काल गिरफ्तार कर लिए गए थे। लेकिन जल्दी ही जमानत भरने के बाद, वे फिर कभी मुकदमे का सामना करने के लिए लौटे नहीं। भोपाल त्रासदी की शुरूआत 2-3 दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को उस समय हुई, जब कीटनाशी बनाने वाले संयंत्र में एक रासायनिक अभिक्रिया के चलते जहरीली गैसों का रिसाव हो गया, जो कि आसपास फैल गइर्ं। मध्यप्रदेश सरकार ने इसके कारण कुल 3,787 मौतों की पुष्टि की थी। गैर सरकारी आकलन का कहना है कि मौतों की संख्या 10 हजार से भी ज्यादा थी।
पांच लाख से ज्यादा लोग घायल हो गए थे, बहुतों की मौत फेफड़ों के कैंसर, किडनी फेल हो जाने और लीवर से जुड़ी बीमारी के चलते हुई। वर्ष 1989 में, यूनियन कार्बाइड ने भारत सरकार को इस आपदा के कारण शुरू हुए मुकदमे के निपटान के लिए 47 करोड़ डॉलर दिए थे।
द टाईम्स ने कहा, ‘अमेरिकी सरकार के समर्थन के चलते वह प्रत्यर्पण से बच गए। वह वीरो बीच, ग्रीनविच, कनेक्टिकट और न्यू यार्क के ब्रिजहैंप्टन स्थित अपने घरों को बारी-बारी बदलते हुए और चुपचाप रहते हुए विभिन्न दीवानी मामलों में जारी सम्मनों से चालाकी के साथ बचते रहे।’