नई दिल्ली । देश के प्रमुख कारोबारी मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह ने जिस तरह से टेलीकॉम कारोबार को बदलकर रख दिया है, उसी तरह से अब वह न्यू एनर्जी बिजनेस में हलचल मचाने की तैयारी कर रहा है। खासकर सोलर पावर सेक्टर में रिलायंस ने टाटा और अडानी समूह को चुनौती देने की तैयारी कर ली है। रिलायंस ने अगले तीन साल में सोलर पावर उत्पादन में 75,000 करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान किया है, जिससे इस कारोबार का पूरा परिदृश्य बदल सकता है और इसमें जबरदस्त प्रतिस्पर्धा होगी।  अभी तक अडानी ग्रीन एनर्जी और टाटा पावर कंपनी के लिए नए प्रोजेक्ट हासिल करना और नई टेक्नोलॉजी हासिल करना काफी आसान रहा है। अंबानी गुजरात के जामनगर में 'गीगा' कारखाने बनाना चाहते हैं, जहां सोलर फोटो वोल्टेइक सेल्स, ग्रीन हाइड्रोजन, बैटरी और फ्यूल सेल का निर्माण किया जाएगा।
इनमें करीब 60,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। गुरुवार को रिलायंस की 44वीं सालाना महासभा में मुकेश अंबानी ने इसका ऐलान किया। इन कारखानों की मदद से रिलायंस ने 100 गीगावॉट सौर उर्जा के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा, 'हम बाकी 15,000 करोड़ रुपये का निवेश वैल्यू चेन, पार्टनरशिप और फ्यूचर टेक्नोलॉजी में करेंगे।'  देश में सोलर एनर्जी की लोकप्रियता बढ़ रही है, क्योंकि यह बिजली का साफ-सु​थरा और सस्ता स्रोत है लेकिन बड़े कॉरपोरेट घरानों की इसमें रुचि एक दूसरे वजह से भी बढ़ रही है। बड़ी कंपनियां सोलर पावर उत्पादन के द्वारा कार्बन क्रेडिट हासिल करना चाहती हैं, ताकि वे कार्बन फुटप्रिंट की भरपाई कर सकें। रिलायंस का भी लक्ष्य साल 2035 तक जीरो कार्बन कंपनी का तमगा हासिल करना है। हालांकि रिलायंस का इस फील्ड में उतरना पूरे कारोबार को बदलकर रख देगा। टाटा पावर फिलहाल 1705 मेगावॉट का सोलर पावर का उत्पादन करती है। टाटा पावर की सब्सिडियरी टाटा पावर सोलर सिस्टम्स ने हाल में बेंगलुरु के अपने कारखाने के विस्तार का ऐलान किया है जिसके बाद यहां सेल और मॉड्यूल के पूरे उत्पादन की क्षमता 1,100 हो जाएगी।अडानी ग्रीन की फिलहाल 3023 मेगावॉट सोलर यूनिट उत्पादन की क्षमता है और यह 8,150 मेगावॉट क्षमता कारखानों के निर्माण में लगी है।