भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज और अनुभवी तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी ने इंग्लैंड के खिलाफ मैदान पर उतरते ही एक अहम रिकार्ड अपने नाम किया है। मिताली राज और झूलन भारत के लिए सबसे अधिक समय तक टेस्ट मैच खेलने वाली खिलाड़ी बन गई हैं। मिताली और झूलन ने साल 2002 में एक साथ पहला टेस्ट मैच खेला था और अब सबसे लंबे टेस्ट करियर की सूची में यह दोनो शामिल हो गयी हैं। भारतीय क्रिकेट इतिहास में सबसे लंबे करियर के मामले में अब सिर्फ सचिन तेंदुलकर ही इनसे आगे हैं। 
मिताली और झूलन का टेस्ट करियर 19 साल 154 दिन का हो गया है। यह महिला क्रिकेटरों में वेरा बर्ट और मैरी हाइड  के बाद सबसे ज्यादा है। न्यूजीलैंड की वेरा बर्ट का करियर 20 साल 335 और इंग्लैंड की मैरी हाइड का करियर 19 साल 211 रहा था। 
मिताली और झूलन का टेस्ट करियर राहुल द्रविड, सौरव गांगुली, अनिल कुंबले ओर महेन्द्र सिंह धोनी जैसे दिग्गजों से भी आगे है। कुंबले का करियर 18 साल 88 दिन द्रविड़ का करियर 15 साल 222 दिन और गांगुली का करियर 12 साल 143 दिन रहा है। 
 डेब्‍यू टेस्ट में सबसे बड़ी पारी खेलने वाली महिला क्रिकेटर बनी शेफाली 
छक्‍के लगाने की कला को लेकर किया रोचक खुलासा 
युवा सलामी बल्लेबाज शेफाली वर्मा डेब्‍यू टेस्ट मैच में सबसे बड़ी पारी खेलने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बन गई हैं। शेफाली ने यहां मेजबान टीम इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट की पहली पारी में 96 रन बनाकर भारतीय पारी को संभाला हालांकि वह चार रनों से अपना शतक पूरा नहीं कर पायीं। अपनी 96 रनों की इस पारी के साथ ही शेफाली ने चंद्रकाता कॉल के डेब्‍यू टेस्‍ट में सबसे ज्यादा रनों के रिकॉर्ड को तोड़ा है। चंद्रकाता ने डेब्‍यू टेस्‍ट मैच में 75 रन बनाए थे।  शेफाली और स्मृति मंधाना ने पहले विकेट के लिए 167 रन की बेहतरीन साझेदारी खेलकर टीम को संभाला। ये टेस्ट क्रिकेट में भारत की पहले विकेट के लिए सबसे बड़ी साझेदारी बनी। 
इसी के साथ ही शेफाली और स्मृति ने गार्गी बनर्जी और संध्या अग्रवाल के 153 रन के रिकॉर्ड को भी तोड़ा, जो उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1984 में मुंबई टेस्ट में बनाया था। 
शेफाली ने अपनी पारी में 152 गेंदों पर 13 चौके और 2 छक्‍के लगाए। बड़े बड़े शॉट लगाने की अपनी कला को लेकर इस विस्‍फोटक बल्‍लेबाज ने रोचक खुलासा करते हुए कहा कि बचपन में उनके पिता बड़े बड़े शॉट मारने पर उन्‍हें और उनके भाई को 10 से 15 रुपये पुरस्‍कार में देते थे। इसी वजह से शुरु से ही उन्हें छक्‍के मारने का अभ्‍यास हो गया।