नई दिल्ली । लोकसभा के बाद हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के जरिये चुनावी जीत की हैट्रिक पूरी कर चुकी भाजपा के लिए आगामी विधानसभा चुनाव कई मायनों में अहम है।झारखंड में जीत को लेकर पार्टी आश्वस्त है तो दिल्ली में राजनीतिक आधार को पूरी तरह आंकना चाहती है। जम्मू-कश्मीर सबसे बड़ी चुनौती है। प्रदेश में लगभग हाशिए पर रही पार्टी को हरियाणा की तर्ज पर चमत्कारिक सफलता दिलाने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अभी से माइक्रो मैनेजमेंट में जुट गए हैं। नेताओं को सतर्क कर दिया गया है।

हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों ने यह साबित कर दिया कि जनता क्षेत्रीय दलों से ऊब गई है। यही कारण है कि चतुष्कोणीय और पंचकोणीय मुकाबले में हरियाणा में भाजपा पूर्ण बहुमत तो महाराष्ट्र में बहुमत के करीब पहुंच गई। दूसरी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस दोनों स्थानों पर सत्ता में थी। जहां से फिसलकर वह तीसरे नंबर पर पहुंच गई। जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस सत्ता में भागीदार रही थी। लिहाजा भाजपा की रणनीति भी कुछ वैसी ही होगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में वोटों का बंटवारा हुआ तो भाजपा को लाभ मिल सकता है। हरियाणा में इनेलो और कांग्रेस के बीच जाट वोटों के बंटवारे के कारण ही भाजपा को बड़ी जीत मिली थी। जम्मू-कश्मीर में यदि सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस थोड़ी मजबूती से लड़ती है तो पीडीपी के पक्ष में दिख रहा माहौल थोड़ा बदल सकता है। यह भी तय माना जा रहा है कि वहां भी प्रधानमंत्री मोदी जमकर चुनाव प्रचार करेंगे और मुद्दा सुरक्षा के साथ प्रशासन और विकास होगा। दरअसल, इसका अहसास हर किसी को है कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा मुख्य विपक्ष तक भी पहुंच गई तो उसका परिणाम दूरगामी होगा। राजनीति से परे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उसका प्रभाव दिख सकता है। पिछले चुनाव में भाजपा चौथे नंबर पर रही थी।

झारखंड में छोटे दलों को पार्टी में शामिल करने से लेकर नए गठबंधन के लिए प्रयास तेज होंगे। झाविमो के बाबू लाल मरांडी पर पार्टी की नजर है। संभावना जताई जा रही है कि चुनाव से पहले वह भाजपा के साथ होंगे। दरअसल, कांग्रेस से रिश्ता टूटने के बाद उन पर भी दबाव होगा कि वह मजबूत साथी ढूंढे। उनके कई साथी पहले ही भाजपा मे शामिल हो चुके हैं। चुनाव मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाना है लिहाजा पार्टी नेतृत्व पर पहले से कोई स्थानीय चेहरा ढूंढने का दबाव भी नहीं है। लोकसभा चुनाव नतीजों को आधार माना जाए तो यह तय है कि भाजपा को झारखंड में बहुमत मिलेगा। वैसे भी भाजपा के चुनावी नारों का मूलमंत्र बहुमत की सरकार होगा। जनता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश होगी कि राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार और विकास की कमी का कारण जोड़-तोड़ की सरकार थी। संभावना जताई जा रही है कि दिल्ली का भविष्य भी इन्हीं चुनावों से तय होगा। दिल्ली की तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। तीनों सीटों पर जीते भाजपा के विधायक अब सांसद हैं। सूत्र मानते हैं कि इस उपचुनाव को भाजपा परीक्षण के तौर पर देख रही है।

चुनावी बिगुल बजते ही सियासी गलियारे गर्माए

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव 2014 को लेकर कुछ दिनों से जारी सुगबुगाहट शनिवार को चुनाव घोषणा के साथ ही 'चुनावी महासमर' में बदल गई। चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक गलियारे एकदम से गर्मा गए और लगभग हर राजनीतिक दल के मुख्यालय व कार्यालयों में कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ पड़ा। चुनाव घोषणा के साथ ही राजनीतिक दलों की बैठकों का दौर तेज हो गया। चुनाव को लेकर उत्साहित राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता शनिवार शाम अपने नेताओं के पास पहुंच गए। विधानसभा चुनाव लड़ने को आश्वस्त इन नेताओं ने कार्यकर्ताओं को चुनावी दौड़ में आगे निकलने के मंत्र दिए।

जम्मू-कश्मीर की दोनों प्रमुख क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियां नेशनल कांफ्रेंस [नेकां] व पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) तो अपने उम्मीदवारों के नाम लगभग घोषित कर चुकी हैं, लेकिन दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दल, कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अभी उम्मीदवारों के नाम घोषित करने हैं। लिहाजा इन दोनों पार्टियों के संभावित उम्मीदवार चुनाव घोषणा के साथ ही अपनी टिकट पक्की करने की जोड़तोड़ में जुट गए। जम्मू शहर की तीन प्रमुख सीटों को लेकर इन दोनों राष्ट्रीय पार्टियों में खींचतान जारी है। दोनों ही पार्टियों के संभावित उम्मीदवार अपनीअपनी दावेदारी ठोंकने में लगे हैं।

नेकां विस चुनाव में पूरा जोर लगाएगी

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नेशनल कांफ्रेंस [नेकां] द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव में भाग न लेने की अफवाहों पर पूर्ण विराम लगाते हुए कहा कि चुनाव से दूर रहने का कोई सवाल ही नहीं है। हम इनमें हिस्सा लेते हुए अपना पूरा जोर लगाएंगे। केंद्रीय चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में 12वीं विधानसभा के गठन के लिए विधानसभा चुनावों की घोषणा कर दी है।

जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को झटका, रेंजु ने दिया इस्तीफा

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर शनिवार को प्रदेश कांग्रेस को उस समय झटका लगा जब प्रदेश मीडिया प्रकोष्ठ के चेयरमैन फारूक अहमद रेंजु ने अपने पद से इस्तीफा देने के साथ ही कश्मीर डेवलपमेंट फ्रंट [केडीएफ] का गठन भी कर दिया। उन्होंने राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव में केडीएफ के प्रत्याशियों को भी उतारने का एलान कर दिया।

राज्य सूचना निदेशक रह चुके फारूक अहमद रेंजु ने गत वर्ष ही कांग्रेस का दामन थामा था। उन्हें प्रदेश कांग्रेस के जनसंपर्क और मीडिया संवाद को मजबूत बनाने के लिए प्रचार व जनसंपर्क समिति का अध्यक्ष मनोनीत किया गया था।