गोपालगंज । नेपाल में लगातार हो रही बारिश के बाद वाल्मीकि नगर बराज से 4 लाख 12 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इस कारण बिहार की कई नदियों का जलस्तर बढ़ गया है और बाढ़ जैसे हालत पैदा हो गए हैं। गोपालगंज के करीब एक सौ से ज्यादा गांव बाढ़ के पानी से प्रभावित हुए हैं जिसकी वजह से सैकड़ों गांवों से लोगों का पलायन जारी है। गंडक के लगातार बढ़ रहे जलस्तर को लेकर लोगों में दहशत का माहौल है। जिला प्रशासन ने भी हाई अलर्ट जारी किया है और लोगों से तटबंधों के अंदर बसे ग्रामीणों को बाहर निकलने की अपील की है।
जानकारी के मुताबिक, गोपालगंज की नदियों में जलस्तर के बढ़ते दबाव की वजह से तटबंधों पर भी खतरा बढ़ गया है। इस बीच जिला प्रशासन के द्वारा तटबंधों पर दबाव को कम करने को लेकर ऐहतियातन पिछले साल बनाए गए सत्तरघाट महासेतु का एप्रोच पथ को दो जगह पर काट दिया गया है। करीब 10 मीटर के दायरे में काटे गए इस एप्रोच पथ से गंडक के पानी का डिस्चार्ज तेज करने का प्रयास किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि सदर प्रखंड के आधा दर्जन से ज्यादा पंचायत बाढ़ से घिर गए हैं। इसके अलावा मांझागढ़, बैकुंठपुर, सिधवलिया प्रखंड के निचले इलाकों के सैकड़ों गांव के लोग बाढ़ प्रभावित इलाके से सुरक्षित ऊंचे स्थलों की तरफ निकल रहे हैं। सदर प्रखंड के मंगुरहा गांव में लोगो का पलायन जारी है। महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग अपने जरूरी सामान को लेकर गांवों से बाहर निकल रहे हैं।
बता दें कि गोपालगंज में पिछले साल गंडक के दबाव से सारण बांध दस जगहों पर सारण और रिंग बांध टूटा था। जिससे गोपालगंज के अलावा सिवान और सारण में बड़े पैमाने पर तबाही हुई थी। इस बार भी वाल्मीकि नगर बराज से छोड़ा गया चार लाख क्यूसेक पानी जैसे-जैसे गोपालगंज की तरफ बढ़ रहा है। तटबंधों पर दबाव भी बढ़ने लगा है। हालांकि, इसी को लेकर पथ निर्माण विभाग और जल संसाधन विभाग की निगरानी में कल रात दो जगहों पर सत्तरघाट महासेतु के अप्रोच पथ को काट दिया गया है। डीएम के आदेश पर इस महासेतु के परिचालन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है। अब लोग बंगरा घाट पुल से सफर करेंगे।
गोपालगंज के 100 से अधिक गांवों में भरा पानी, प्रशासन ने दो जगहों पर काटा सत्तरघाट महासेतु एप्रोच पथ
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