
पटना । लोजपा में पशुपति कुमार पारस की बगावत के बाद से वार पलटवार का दौर जारी है। बुधवार की सुबह दिल्ली में चिराग पासवान ने प्रेस कांफ्रेंस कर चाचा पारस पर कई आरोप लगाए तो वहीं पटना पहुंचे पारस ने कई बातों से पर्दा उठाया। पारस ने कहा कि हम एनडीए के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन चिराग पासवान इसके लिए राजी नहीं हुए। यही वजह है कि लोजपा खत्म होने की कगार पर पहुंच चुकी थी। चिराग ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर पार्टी संविधान का हवाला देते हुए चाचा पारस के फैसलों को गलत बताया था। उसका जवाब देते हुए पारस ने कहा कि हमारी पार्टी के संविधान में साफ लिखा है कि एक व्यक्ति-एक पद। चिराग पासवान 2013 से पार्लियामेंट्री बोर्ड के चेयरमैन हैं। 2019 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। इसके लिए चुनाव नहीं हुआ। नामांकन नहीं हुआ। इसके बाद वो संसदीय दल के नेता बन गए। पार्टी के संविधान के खिलाफ एक व्यक्ति तीन पद पर रहा। अब पार्टी ने फैसला लिया कि चिराग को संसदीय दल के नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से मुक्त किया जाए। पारस ने कहा कि आप चिराग पासवान से जरूर पूछें कि उन्होंने मुझे प्रदेश अध्यक्ष पद से क्यों हटाया। सत्ता न होने पर भी उन्होंने ऐसा किया। पारस ने दावा किया कि बिहार में लोकसभा का चुनाव मेरी देखरेख में पार्टी ने लड़ा और सभी 6 सांसद जीते। चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार हमें सबसे ज्यादा वोट मिले। इससे पहले पारस के पटना पहुंचने पर एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत किया गया। वहीं लोजपा के कार्यकारी अध्यक्ष सूरजभान सिंह ने कहा कि चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस एक साथ आएंगे और एक पार्टी में रहेंगे। इस मुद्दे को न भड़काएं। चिराग को समझना चाहिए कि उनके चाचा ने उनके अधीन काम किया है और अब उन्हें चाचा के नेतृत्व में करना चाहिए।