बिलासपुर । आईएमए के पदाधिकारियों का कहना है कि मरीजों से लूटमार करने वाले डॉक्टरों के साथ वो नही है। सबके लिए नियम-कानून बने है प्रशासन चाहे तो ऐसे लोगों पर करवाई कर सकती है। आईएमए इस सबन्ध में प्रशासन का सहयोग करने के लिए तैयार है।
कोरोना काल में डाक्टरों के ऊपर हुए हमले और एलोपैथी डाक्टरों को बदनाम किए जाने के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से संबंधित चिकित्सक 18 जून को नेशनल प्रोटेस्ट डे मनाएंगे। इसके तहत चिकित्सक काली पट्टी, काले झंडे ,काला मास्क, काला फीता, काली शर्ट धारण कर अपना विरोध दर्ज कराएंगे। इस दौरान पोस्टर और स्लोगन के माध्यम से सेव द सेवियर्स, स्टॉप वायलेंस ऑन प्रोफेशन एंड प्रोफेशनलस का प्रचार किया जाएगा। इस दिन आईएमए भवन में शहर के प्रमुख चिकित्सक इक_ा होंगे। सामाजिक, शैक्षिक और अन्य संस्थाओं के साथ बैठक की जाएगी और उन्हें अपनी बात समझाई जायेगी। आईएमए के राज्य सचिव डॉ पीके श्रीवास्तव, सचिव डॉ अभिषेक घाटगै, जिला अध्यक्ष डा अभिजीत रायजादा और डा अखिलेश वर्मा ने जानकारी देते हुए बिलासपुर प्रेस क्लब में बताया कि कोरोना काल में 7 सौ चिकित्सको की जाने गई है। यह सही है कि इलाज करने वाले चिकित्सको के साथ मारपीट की घटनाएं और अस्पताल में तोडफ़ोड़ आकस्मिक और परिस्थितिजन्य होती है। लेकिन चिकित्सको की सुरक्षा को लेकर आईएमए द्वारा काफी लम्बे समय से कानून बनाए जाने और उसे आईएमए में शामिल किए जाने की मांग की जा रही है। मगर सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। जिससे चिकित्सको, अस्पताल स्टाफ अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे है। एक सवाल के जवाब में आईएमए के सभी पदाधिकारियों ने कहा कि कोरोना काल में निजी अस्पतालो द्वारा मरीजों से भारी भरकम राशि लिए जाने की शिकायत पर आईएमए के पदाधिकारियों ने कहा कि गलत लोगो का साथ नही देती। जिला प्रशासन जांच करे और ऐसे लोगो को दंडित करे। प्रशासन ऐसे मामले में आईएमए से सहयोग मांगेगी तो पूरा सहयोग करेंगे।