इस्लामाबाद : सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को बंगलादेश खोना पड़ा और 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हुआ, जिस पर इंदिरा गांधी और जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे। भुट्टो के साथ उनकी बेटी बेनजीर भी आई थीं जो बाद में पाकिस्तान की प्रधानमंत्री भी बनीं।
शिमला समझौते के अनुसार भुट्टो इस बात पर सहमत हुआ था कि दोनों देश आपसी समस्याओं को परस्पर वार्ता द्वारा ही सुलझाएंगे और उपमहाद्वीप में स्थायी मित्रता के लिए काम करेंगे। एक-दूसरे के विरुद्ध बल प्रयोग न करने, प्रादेशिक अखंडता की अवहेलना न करने और कश्मीर विवाद को अंतर्राष्ट्रीय रूप न देकर आपसी बातचीत द्वारा ही सुलझाने पर भी सहमति हुई थी। 27 दिसम्बर, 2007 को बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद बेनजीर के 19 वर्षीय बेटे बिलावल भुट्टो को पी.पी.पी. की कमान सौंप दी गई थी, परंतु उसने लंदन में पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया।
2011 में वह पाकिस्तान लौटा और 2013 के चुनावों से पहले ही अपनी सुरक्षा को खतरा देखते हुए फिर दुबई चला गया लेकिन चुनावों के बाद वापस आ गया। उन चुनावों में तो पी.पी.पी. कोई कमाल नहीं कर पाई लेकिन अब 2018 के चुनावों की तैयारी में जुटा बिलावल अपने बयानों में उग्रता दिखाकर जन-समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहा है।
हालांकि पाकिस्तान के शासन पर हावी सेना ने सदा भारत विरोधी गतिविधियों को संरक्षण दिया पर नवाज शरीफ हमेशा ही भारत से संबंध सुधारने पर जोर देते रहे। 2013 में तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने से पूर्व एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि ‘‘दोनों देशों में संबंधों को वहीं से शुरू करने की जरूरत है जहां हमने इन्हें 1999 में छोड़ा था जब श्री वाजपेयी आगे आए थे और हमने 21 फरवरी, 1999 को लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।’’
परंतु नवाज शरीफ की उक्त घोषणा की उपेक्षा करते हुए बिलावल भुट्टो ने 21 सितम्बर, 2014 को कहा कि ‘‘हम आधा-अधूरा कश्मीर नहीं चाहते। हम भारत से पूरा कश्मीर लेकर रहेंगे। यह भी दूसरे प्रांतों की तरह पाकिस्तान का हिस्सा है। हम अपनी एक इंच जमीन भी नहीं छोड़ेंगे।’’
जहां नवाज शरीफ का सलाहकार सरताज अजीज संयुक्त राष्ट्र के महासचिव से कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप करने का अनुरोध करके आलोचना का पात्र बना वहीं बिलावल भी उक्त बयान के बाद विवादों में घिर गया। इसी सिलसिले में एक बार फिर 18 अक्तूबर को कश्मीर का रोना रोते हुए उसने एक जनसभा में कहा कि ‘‘जब भी मैं कश्मीर मुद्दे पर बोलता हूं तो पूरा हिन्दुस्तान चीख उठता है। हम भारत से कश्मीर लेकर रहेंगे। कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा जरूर बनेगा।’’
पाकिस्तान के भावी प्रधानमंत्री के रूप में पेश किए जा रहे बिलावल भुट्टो के उक्त बयानों पर पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान ने कहा है कि ‘‘बिलावल अभी बच्चा है। ऐसी बातें करने की बजाय बिलावल को अपने पिता से विदेशों में रखे हुए धन के बारे में पूछना चाहिए।’’
इसके साथ ही इमरान खान ने पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं के संबंध में यह कहा कि ‘‘जो हिंदू सताए जाने के कारण देश छोड़कर चले गए हैं, वे सभी हमारी पार्टी के सत्ता में आने पर लौट आएंगे। हम अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के सिद्धांतों के अनुरूप सुरक्षा, न्याय और समान अधिकार देंगे।’’
इमरान ने बिलावल के कश्मीर प्रलाप पर बिल्कुल सही टिप्पणी की है। तथ्य जाने बिना बोलने का कोई औचित्य नहीं है। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर कहा है कि ‘‘भारत की एकता और अखंडता कोई मोल-भाव करने की चीज नहीं है। हम आगे देखने की प्रक्रिया में जुटे हुए हैं और इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी सीमाएं बदल जाएंगी।’’
इन हालात में उचित यही होगा कि बिलावल राजनीति में पांव जमाने के लिए सार्थक प्रयास करे और शुरूआत अपने देश में व्याप्त बुराइयों, सेना के वर्चस्व व आतंकवाद आदि के विरुद्ध संघर्ष से करे। जहां तक कश्मीर का संबंध है :
जन्नत की है तस्वीर, ये तस्वीर न देंगे,कश्मीर है भारत का, कश्मीर न देंगे।
बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल के ‘महा-बचकाने बयान’
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