नई दिल्ली। दीपावली के समय महिलाओं को साफ-सफाई की फिक्र होना स्वाभाविक है, चाहे फिर वो लोकसभाध्यक्ष सुमित्र महाजन ही क्यों ना हों। सोमवार को उन्होंने बाकायदा साड़ी का फेंटा कस संसद में साफ-सफाई और व्यवस्था के तार कसे। करीब दो घंटे के सघन दौरे में महाजन ने संसद भवन की सीलन भरे कोनों, कैंटीन के बर्तनों, अव्यवस्थित फाइलों से लेकर शौचालयों का मुआयना कर इंतजाम दुरुस्त करने को कहा। साथ ही संसद में कागजों की बेतहाशा बर्बादी पर लगाम लगाने की भी ताकीद की ताकि संसद भी स्मार्ट बन सके।

सत्रावकाश के दौरान सामान्य कामकाज और अलसाए लंच टाइम के बीच सोमवार को अचानक हड़कंप का माहौल था जब लोकसभा अध्यक्ष ने अचानक संसद में साफ-सफाई से लेकर कामकाज व ऐतिहासिक इमारत के रखरखाव का खुद मुआयना करने का फैसला लिया। उन्होंने दूसरे तल पर कमरा नंबर 187 में बिखरी फाइलों और रूम नंबर 86 में सीलन भरी दीवारों और 133 में टपकती छत को देख रखरखाव के सूरते हाल पर अमले को फटकार लगाई।

सूत्रों के मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष ने सचिवालय को संसद भवन के रख-रखाव और परिसर में चल रहे निर्माण कार्य पर केंद्रीय लोकनिर्माण विभाग से कामकाज की प्रगति पर रिपोर्ट लेने की हिदायत दी।

कागज की बर्बादी हो बंद

संसद में व्यवस्था की रिपोर्ट लेने निकलीं महाजन संसदीय सौंध के दफ्तरों में वर्षो पुरानी धूल खाती फाइलों और कार्यालयों के बीच झूलते तारों को देख कर्मचारियों के कामकाज की हालत पर भी चिंता जताई। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने इफरात में छपी रिपोर्टो और कागज के बेदर्द इस्तेमाल पर नाखुशी जताते हुए बीते दस सालों के दौरान सचिवालय द्वारा छापी गई रिपोर्टो और उनके वितरण पर विस्तृत समीक्षा रिपोर्ट भी मांगी।

संसदीय सचिवालय के मुताबिक उन्होंने संसद के कामकाज को कागजमुक्त कार्यप्रणाली में ढालने के लिए हिदायतें दी। उनका जोर संसद के कामकाज के माहौल को खुशनुमा बनाने पर था। संसद भवन में साफ-सफाई के स्तर को आंकने के बाद उन्होंने कई स्थानों पर व्यवस्था को दुरुस्त देख सराहना भी की।

महत्वपूर्ण है कि भारत का संसद भवन 85 बरस से अधिक की उम्र पार कर चुका है। इस इमारत के कारण कई बार समस्याएं भी सामने आती हैं। मई 2012 में संसद के ड्रेनेज जाम होने से फैली बदबू के कारण राज्यसभा की कार्यवाही रद करने की नौबत तक आ गई थी।