नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा के लिए हुए चुनाव में राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना [मनसे] बड़ी उम्मीदों के साथ मैदान में उतरी थी। भाजपा-शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के टूटने से मनसे को काफी संख्या में सीटें जीतने की उम्मीदें थीं, लेकिन शुरुआती रुझानों से मनसे को बड़ा झटका लगा है। जिससे यह लगने लगा है कि मनसे अब कुछ सीटों पर सिमट कर रहे जाएगी। शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक मनसे दहाई का आंकड़ा छूने को भी तरसती दिखाई दे रही है।

जहां भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभर कर सामने आ रही है वहीं शिवसेना अपनी पिछली स्थिति को बरकरार रखे हुए है। कांग्रेस-एनसीपी 30-35 के बीच साथ-साथ चल रही है, लेकिन मनसे की स्थिति काफी खराब है। ऐसा लगता है कि प्रदेश के लोगों ने मनसे को पूरी तरह से नकार दिया है। बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति में मनसे को उम्मीद थी कि वह इतनी सीटे तो जीत ही लेगी कि वह सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। जनता ने मनसे की हवा निकाल दी है और पार्टी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।

ऐसा लगता है कि मनसे को उत्तर भारतीय लोगों के खिलाफ उनकी नीति महंगी पड़ी है। प्रदेश में उत्तर भारतीयों की अच्छी खासी संख्या है। ऐसे में उन्हें अब उत्तर भारतीयों के खिलाफ अपनी नीति बदलनी पड़ेगी नहीं तो मनसे की राजनीति का हाल इसी तरह से बेहाल रहेगा।